नागरिकता कानून (CAA), राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण (NRC) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) के विरोध में दिल्ली के शाहीन बाग़ में पिछले 2 महीने से सैकड़ों लोग धरने पर बैठे हुए हैं। उसी की तर्ज पर मुंबई के नागपाड़ा इलाके में भी लगभग 100 से भी अधिक महिलाएं इन सभी कानून के खिलाफ 26 जनवरी से ही आंदोलन पर बैठी हुई हैं। दिल्ली के 'शाहीन बाग़' की तरह मुंबई में हो रहे इस आंदोलन को लोग 'मुंबई बाग़' के नाम से सम्बोधन कर रहे हैं।
बुधवार को इन महिलाओं के बीच सामाजिक कार्यकर्त्ता मेधा पाटकर पहुंची थी, मेधा ने महिलाओं को संबोधित किया। उन्होंने कहा, महाराष्ट्र सरकार नागपाड़ा में ‘मुंबई बाग’ के प्रदर्शनकारियों से डरी हुई है, इसलिए उन्हें दबाने के लिए पुलिस बल का प्रयोग कर रही है।
प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए पाटकर ने कहा कि यदि उद्धव ठाकरे सरकार ने CAA , NRC और NPR पर स्पष्ट रूख अपना लिया है तो फिर पुलिस हस्तक्षेप क्यों कर रही है?
पाटकर ने शहर के अलग-अलग हिस्सों के लोगों से अनुरोध किया कि वे ‘मुंबई बाग’ आकर प्रदर्शनकारियों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करें।
आपको बता दें कि अभी कुछ दिन पहले ही इस आंदोलन को कवर करने गए एक फोटो पत्रकार के साथ पुलिस ने अभद्रतता की, जिसके बाद एक पुलिस वाले को निलंबित कर दिया गया और दूसरे पुलिसकर्मी का प्रोबेशन पीरियड बढ़ा दिया गया।
यही नहीं आंदोलन कर रही इन महिलाओं के खिलाफ बीएमसी ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है कि, इस आंदोलन के कारण बीएमसी ने मुंबई पुलिस में शिकायत दर्ज कराइ है। बीएमसी का कहना है कि इस प्रदर्शन के कारण उनका सड़क मरम्मत का कार्य रुका हुआ है। पुलिस ने लोगों को नोटिस देना शुरू कर दिया है।