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मुस्लिम बैंक के औचित्य पर सवाल


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मुंबई - भारतीय रिजर्व बैंक ने देश में परंपरागत बैंकों में धीरे-धीरे ‘इस्लामी बैंक सुविधा’ देने का प्रस्ताव किया है जिसमें ब्याज-मुक्त बैंकिंग सेवा के प्रावधान किए जा सकते हैं। केंद्र तथा रिजर्व बैंक दोनों ही लंबे समय से देश में समाज के ऐसे लोगों को इस तरह की बैंक सुविधाएं पेश करने की संभावनाओं पर विचार करते रहे हैं, जो धार्मिक कारणों से बैंकों से दूर हैं। इस्लामी या शरिया बैंकिग एक प्रकार की वित्त व्यवस्था है जो ब्याज नहीं लेने के सिद्धांत पर आधारित है क्योंकि इस्लाम में ब्याज की मनाही है। मुस्लिम समाज के लिए बिना ब्याज के कर्ज देने के लिए बैंक शुरू करने और स्वतंत्र खिड़की योजना पर सपा नेता अबु आजमी का कहना है कि यह योजना अच्छी है लेकिन इसमें भाजपा का राजनीतिक हेतु छिपा है। वहीं एनसीपी प्रवक्ता सचिन अहिर पूछ रहे हैं कि इसमें आरबीआई का उद्देश्य क्या है? जिसका जवाब देते हुए भाजपा प्रवक्ता गणेश हाके का कहना है कि मुस्लिम समाज की प्रगति के लिए यह निर्णय लिया गया है।

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