पूर्व मुख्यमंत्री और विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस (devendra fadnavis) ने एक बार फिर से शिव सेना (shiv sena) पर निशाना साधा है। उन्होंने शिव सेना को लपेटे में लेते हुए कहा, अब कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार ने जल्दबाजी में लॉकडाउन (lockdown) लागू कर दी। शिवसेना द्वारा केंद्र सरकार की ऐसी आलोचना का न तो कोई मतलब नहीं है और न ही कोई मूल्य। उन्होंने कहा जब केंद्र ने लॉकडाउन की घोषणा की तो उसके पहले ही महाराष्ट्र में लॉकडाउन लग चुका था।
देवेंद्र फडणवीस ने सोशल मीडिया के माध्यम से आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम संबोधित करते हुए कहा, केंद्र के पहले महाराष्ट्र में लॉकडाउन घोषित किया गया, इसके बाद केंद्र ने लगाया, तब यह प्रचार किया जाने लगा कि, केंद्र सरकार महाराष्ट्र के नक्शेकदम पर चल रही है। तो लॉकडाउन लगाने की जल्दबाजी किसने की? जो लोग उस समय लॉकडाउन लगाने की डींग मारते थे, वे अब उसे ही लेकर केंद्र की आलोचना कर रहे हैं।
फडणवीस ने कहा, महाराष्ट्र में दिन पर दिन कोरोना का संकट गंभीर होता जा रहा है। स्थिति बिगड़ रही है, विशेष रूप से मुंबई में। उतने टेस्ट नहीं हो रहे हैं जितने होने चाहिए। दस्तावेजों के अनुसार, सरकार ने निजी अस्पतालों में 80 फीसदी से अधिक बेड कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित किए हैं। लेकिन वास्तव में स्थिति अलग है। कोरोना रोगियों को समय पर बेड उपलब्ध नहीं हैं। ये सिर्फ घोषणाएं हैं।
उन्होंने आगे कहा, तालाबंदी के बाद, हम श्रम की तलाश में अपने गाँव की ओर देखने लगे। श्रम केे संकट को टालने के लिए सरकार की यही उपाय योजना थी, जो काम नहीं आई।
उन्होंने कहा, बैठक में इन प्रवासी मजदूरों को रोक कर इनकी व्यवस्था करने की सलाह मैंने सरकार को दिया था।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, हमारी सरकार में होने के बावजूद शिवसेना विपक्ष की भूमिका में काम करती थी। शिव सेना कभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काम की आलोचना करती थी तो कभी उनके काम की तारीफ। इस तरह, शिवसेना की भूमिका हर दिन बदल जाती थी। इसलिए शिवसेना की आलोचना का कोई अर्थ, सिद्धांत और मूल्य नहीं है।