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क्या जीएसटी पर फिर दिखेगा शिवसेना-बीजेपी का टकराव?


क्या जीएसटी पर फिर दिखेगा शिवसेना-बीजेपी का टकराव?
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जीएसटी के कार्यान्वयन के विरोध का संकेत देते हुए शिवसेना पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने गुरुवार को कहा कि बीएमसी को वित्तीय सहायता के लिए सरकार के सामने मांग रखने की नौबत नहीं आनी चाहिए, अगर ऐसा होता है तो उनकी पार्टी अपने रुख पर पुनर्विचार करेगी।

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शिवसेना भवन में गुरुवार को आयोजित विधायकों और नगरसेवकों की बैठक के दौरान ठाकरे ने भाजपा की आलोचना की। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी जीएसटी के कार्यान्वयन का सख्ती से विश्लेषण करेगी और अगर बीएमसी अपनी स्वायत्तता का दर्जा खोती दिख रही है तो शिवसेना अपने रुख पर पुनर्विचार करेगी।

जीएसटी लागू होने के बाद बीएमसी जकात के रूप में अपनी होनेवाली कमाई खो देगी। केंद्र सरकार से मानधन प्राप्त करने वाली राज्य सरकार को बीएमसी को पैसे देने होंगे। इसलिए, शिवसेना के मंत्रियों और विधायकों को जीएसटी के लिए आयोजित होने वाले विधानसभा सत्र के दौरान उचित कदम उठाने होंगे।

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राज्य सरकार ने जीएसटी विधेयक को पारित करने के लिए एक विशेष विधानसभा सत्र बुलाया है और सरकार को इस बिल को पारित कराने के लिए शिवसेना के समर्थन की आवश्यकता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस विशेष सत्र के दौरान शिवसेना क्या रुख अपनाती है।

क्या चाहती है शिवसेना-

दरअसल जकात के रुप में बीएमस को मोटी कमाई होती है। शिवसेना को लग रहा है कि जीएसटी की आड़ में केंद्र और राज्य सरकार दोनों मिलकर बीएमसी की ताकत कम करना चाहते हैं। इसलिए उद्धव ठाकरे चाहते हैं कि जकात की जगह केंद्र सरकार से जो सहायता राशि मिलेगी वो सीधे बीएमसी के खाते में जाए ना की राज्य सरकार के।

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