राज्य की उद्धव ठाकरे सरकार ने महाराष्ट्र के सभी जिलों के लिए पालक मंत्री (Guardian minister) के नामों का एलान कर दिया है। मुंबई शहर में कैबिनेट मंत्री अस्लम शेख को पालक मंत्री बनाया गया है तो वही दूसरी ओर राज्य के पर्यटन मंत्री आदित्य ठाकरे को मुंबई उपनगर का पालकमंत्री बनाया गया है। राज्य के सभी 36 जिलों के लिए पालक मंत्री के नामों का एलान कर दिया गया है। लेकिन क्या आप जानते है की पालक मंत्री का काम और जवाबदारी क्या क्या होती है। एक जिले का पालक मंत्री किस काम के लिए जवाबदार होता है? पालकमंत्री के पास जिले के विकास के लिए क्या क्या अधिकार होते है? अगर आपको नहीं पता है की पालकमंत्री का काम क्या होता है तो आईये जानते है।
व्यक्तिगत ध्यान – किसी भी जिले के विकास के लिए उस जिले में कलेक्टर तो होता ही है लेकिन राज्य में किसी एक विधायक को भी उस जिले के विकास के लिए उस जिले का पालकमंत्री बनाया जाता है। उनका उद्देश्य उस जिले के विकास पर एक मंत्री का व्यक्तिगत ध्यान लाना होता है।
पदेन अध्यक्ष- पालकमंत्री , जिला योजना समिति (DPC) के पदेन अध्यक्ष(ex-officio chairperson) होता हैं, जिन्हें कानून के अनुसार प्रत्येक जिले में गठित करना होता है।कानून में कोई विशिष्ट दिशा-निर्देश नहीं हैं कि DPC का प्रमुख कौन होना चाहिए। कुछ राज्यों में इसकी अध्यक्षता प्रशासन द्वारा की जाती है, जबकि कुछ राज्यों में निर्वाचित प्रतिनिधि इस पद को संभालते है।
DPC को पंचायतों और नगरपालिकाओं के बीच आम हित के मामलों से निपटना है, जिसमें स्थानिक योजना, पानी और अन्य भौतिक और प्राकृतिक संसाधनों का आदान प्रदान और बुनियादी ढांचे और पर्यावरण संरक्षण का एकीकृत विकास भी शामिल है। पालकमंत्री से अपेक्षा की जाती है कि वे स्थानीय संसाधनों के बंटवारे, क्षेत्र नियोजन, ठोस अपशिष्ट और सीवेज निपटान जैसे मामलों के लिए डीपीसी की सहायता के लिए नगरपालिका , पंचायतों और नगरपालिकाओं के बीच निकट समन्वय बनाए रखे।
कई बड़े योजनाओं में भी शामिल- पालकमंत्री कचरा निपटान मुद्दों को हल करने के लिए समन्वय भी करते हैं। मेगा-परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण की सुविधा, कचरा प्रसंस्करण संयंत्र, राजमार्गों, हवाई अड्डों, औद्योगिक क्षेत्र, जल आपूर्ति और सीवेज उपचार परियोजनाओं के निर्माण योजनाओं में भी शामिल
संयुक्त बजट की निगरानी- पालक मंत्री किसी जिले के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत सभी स्थानीय नागरिक निकायों के संयुक्त बजट की निगरानी कर सकते है और इसके लिए एक आम मसौदा बजट पारित करना भी सुनिश्चित कर सकते है। पालक मंत्री प्रत्येक तिमाही में बजट कार्यान्वयन की समीक्षा कर सकते है। अलग अलग योजनाओं के लिए केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा स्वीकृत धन का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करना भी पालक मंत्री का कार्य है।