संजय
दीना पाटील का जन्म 16 जनवरी 1969 को हुआ था। इस समय इनकी उम्र 50 साल है।
इनके पिताजी का नाम दीना बामा पाटील है और ये भांडुप पश्चिम में रहते हैं।
संजय दीना पाटील एनसीपी (राष्ट्रवादी कांग्रेस) के नेता है और 15वीं
लोकसभा में सांसद रह चुके हैं।
परिवार इनके परिवार में इनकी पत्नी और दो बच्चे हैं। पत्नी का नाम पल्ल्वी पाटील है जबकि राजोल और सखी नामकी दो बच्चियां हैं।
शिक्षा: संजय दीना पाटील ने साल 1985 में पुणे से दसवीं पास किया था
तो साल 1987 में मुंबई डिवीजन बोर्ड से बारहवीं पास किया। इसके बाद साल
1992 में मुंबई यूनिवर्सिटी से बीकॉम पास किया।
संपत्ति: अपने हलफनामे में पाटील अपनी संपत्ति की जो जानकारी दी है उसके मुताबिक
उनकी सम्पत्ति में 31 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 2014 में उन्होंने 1.99
करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की थी, इस बार यह बढ़कर 2.60 करोड़ रुपये हो
गई है।
राजनीतिक कैरियर: संजय दीना पाटील एनसीपी के नेता हैं। उन्होंने साल 2009 में कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन से उत्तर-पूर्व
मुंबई लोकसभा सीट चुनाव लड़ा और 15वीं लोकसभा में जीत दर्ज कर सांसद
पहुंचे। लेकिन पाटील अपनी जीत का सिलसिला बरकरार नहीं रख पाएं और साल 2014
में इसी सीट से फिर चुनाव लड़ा, लेकिन इस बात मोदी लहर होने के कारण इन्हे
हार का मुंह देखना पड़ा।
अब 2019 के चुनाव में एक बार फिर से पार्टी ने दीना पर भरोसा दिखाया है
और इन्हे फिर से उत्तर-पूर्व मुंबई लोकसभा सीट से टिकट दिया गया है। इस बार
भी कांग्रेस और एनसीपी का गठबंधन है। लेकिन क्या दीना पाटील 2009 का
इतिहास दोहराएंगे? स्थानीय सांसद किरीट सोमैया का टिकट कट जाने के कारण इस
बार बीजेपी-शिवसेना युति से टिकट मनोज कोटक को दिया गया है।
उत्तर-पूर्व मुंबई लोकसभा सीट पर लड़ाई इस बार काफी रोचक होने वाली है।
2014 में सीट हारने के बाद जहां एनसीपी नेता पाटील कांग्रेस और मनसे के
सहयोग से फिर इस सीट को फतह करने की तैयारी में हैं, तो वहीं महायुति की
तरफ से पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे नगरसेवक मनोज कोटक भी पीछे नहीं हैं।
जानकारों के अनुसार, सांसद किरीट सोमैया का टिकट यहां से कटने के बाद
लड़ाई बराबर की हो गई है।
हालांकि यहां मराठी वोटर्स अधिक संख्या में हैं लेकिन शिवसेना और एनसीपी
के कारण वे बंट जाएंगे। इसीलिए उत्तर भारतीय वोटर्स को भी नकारा नहीं जा
सकता। यहां का उत्तर भारतीय मतदाता बड़ी बारीकी से इस पर नजर रखे हुए हैं।
वैसे इस सीट पर उत्तर भारतीय बीजेपी के करीबी है, इसीलिए यहां कुछ भी कहना
जल्दबाजी होगी।
संजय दीना पाटील का जन्म 16 जनवरी 1969 को हुआ था। इस समय इनकी उम्र 50 साल है। इनके पिताजी का नाम दीना बामा पाटील है और ये भांडुप पश्चिम में रहते हैं। संजय दीना पाटील एनसीपी (राष्ट्रवादी कांग्रेस) के नेता है और 15वीं लोकसभा में सांसद रह चुके हैं।
परिवार
इनके परिवार में इनकी पत्नी और दो बच्चे हैं। पत्नी का नाम पल्ल्वी पाटील है जबकि राजोल और सखी नामकी दो बच्चियां हैं।
शिक्षा:
संजय दीना पाटील ने साल 1985 में पुणे से दसवीं पास किया था तो साल 1987 में मुंबई डिवीजन बोर्ड से बारहवीं पास किया। इसके बाद साल 1992 में मुंबई यूनिवर्सिटी से बीकॉम पास किया।
संपत्ति:
अपने हलफनामे में पाटील अपनी संपत्ति की जो जानकारी दी है उसके मुताबिक उनकी सम्पत्ति में 31 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 2014 में उन्होंने 1.99 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की थी, इस बार यह बढ़कर 2.60 करोड़ रुपये हो गई है।
राजनीतिक कैरियर:
संजय दीना पाटील एनसीपी के नेता हैं। उन्होंने साल 2009 में कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन से उत्तर-पूर्व मुंबई लोकसभा सीट चुनाव लड़ा और 15वीं लोकसभा में जीत दर्ज कर सांसद पहुंचे। लेकिन पाटील अपनी जीत का सिलसिला बरकरार नहीं रख पाएं और साल 2014 में इसी सीट से फिर चुनाव लड़ा, लेकिन इस बात मोदी लहर होने के कारण इन्हे हार का मुंह देखना पड़ा।
अब 2019 के चुनाव में एक बार फिर से पार्टी ने दीना पर भरोसा दिखाया है और इन्हे फिर से उत्तर-पूर्व मुंबई लोकसभा सीट से टिकट दिया गया है। इस बार भी कांग्रेस और एनसीपी का गठबंधन है। लेकिन क्या दीना पाटील 2009 का इतिहास दोहराएंगे? स्थानीय सांसद किरीट सोमैया का टिकट कट जाने के कारण इस बार बीजेपी-शिवसेना युति से टिकट मनोज कोटक को दिया गया है।
उत्तर-पूर्व मुंबई लोकसभा सीट पर लड़ाई इस बार काफी रोचक होने वाली है। 2014 में सीट हारने के बाद जहां एनसीपी नेता पाटील कांग्रेस और मनसे के सहयोग से फिर इस सीट को फतह करने की तैयारी में हैं, तो वहीं महायुति की तरफ से पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे नगरसेवक मनोज कोटक भी पीछे नहीं हैं। जानकारों के अनुसार, सांसद किरीट सोमैया का टिकट यहां से कटने के बाद लड़ाई बराबर की हो गई है।
हालांकि यहां मराठी वोटर्स अधिक संख्या में हैं लेकिन शिवसेना और एनसीपी के कारण वे बंट जाएंगे। इसीलिए उत्तर भारतीय वोटर्स को भी नकारा नहीं जा सकता। यहां का उत्तर भारतीय मतदाता बड़ी बारीकी से इस पर नजर रखे हुए हैं। वैसे इस सीट पर उत्तर भारतीय बीजेपी के करीबी है, इसीलिए यहां कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।