मंगलवार महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ( bhagat singh koshyari) ने महाराष्ट्र में ग्रामीण निकायों में अन्य पिछड़ा वर्ग ( OBC reservation bill) समूह को 27 प्रतिशत तक आरक्षण देनेवाले विधेक को मंजूरू दे दी।
इससे पहले सोमवार, 31 जनवरी को कोश्यारी ने राज्य के ग्रामीण विकास विभाग को यह कहते हुए बिल लौटा दिया कि मामला विचाराधीन है। हालाँकि, उन्होंने इसे तब मंजूरी दे दी जब महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें इसके कानूनी महत्व के बारे में आश्वस्त किया।
महाराष्ट्र सरकार को उम्मीद है कि राज्य में ओबीसी आरक्षण बिल को नए अधिनियमित कानून के माध्यम से वापस लाया जाएगा, बशर्ते सुप्रीम कोर्ट 8 फरवरी को सुनवाई के दौरान अपनी मंजूरी दे दे।
एनसीपी मंत्री छगन भुजबल( chhagan bhujabal) के हवाले से कहा है कि 8 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से पहले, वे महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (MSBCC) से एक अंतरिम रिपोर्ट की उम्मीद कर रहे हैं। भुजबल ने कहा कि अदालत को समझाया जाएगा कि औसतन ओबीसी समुदाय को 20 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा क्योंकि नए कानून जिले के अनुसार अलग होंगे।
समाचार एजेंसी एएनआई ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के हवाले से बताया कि कैसे ओबीसी आरक्षण विधेयक पर राज्यपाल द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे, यह कहते हुए कि विधेयक को सर्वसम्मति से पारित किया गया था और वे उक्त निर्णय से कैसे खुश हैं।
The OBC Reservation Bill has been signed by the Governor. This bill was unanimously passed by everyone. We are happy with this decision: Maharashtra Deputy CM Ajit Pawar pic.twitter.com/wcORPKkLhs
— ANI (@ANI) February 1, 2022
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने 27 प्रतिशत राजनीतिक आरक्षण देने वाले कानूनी प्रावधान पर रोक लगा दिया था ये कहते हुे की ये 50 फिसदी आरक्षण से अधिक है। इसके बाद, राज्य ने ओबीसी उम्मीदवारों के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित करते हुए दो कानूनों में संशोधन करने के लिए एक अध्यादेश जारी किया।
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