बॉम्बे
हाई कोर्ट ने मंगलवार को तीन गरसेवकों की याचिका खारीज कर दी जो आरक्षित
निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व कर रहे थे । इन तीनों नगरसेवको के
चुनाव को अमान्य कर दिया गया था क्योंकि उन्होंने 2017 में निर्वाचित होने
के एक साल के भीतर जाति-वैधता प्रमाण पत्र नही दिया था। दो अन्य नगरसेवको
द्वारा दिये गए प्रमाण पत्रों को आगे की जांच के लिए एक समिति को दिया गया
है।
दो नगरसेवको की जांच को आगे भेजा
न्यायमूर्ति रंजीत मोरे और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की खंडपीठ पांच
नगरसेवको केशरबेन पटेल, मुरजी पटेल, राजपति यादव, सुधा सिंह और ट्यूलिप
मिरांडा द्वारा दायर रिट याचिकाओं पर सुनवाई की। जिनकी सीटों के चुनाव के
लिए जाति-जांच समिति ने सवाल किया था। अदालत ने हालांकि सिंह की इस दलील को
स्वीकार कर लिया कि सतर्कता सेल ने कोयरी जाति से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण
दस्तावेजों को संदर्भित नहीं किया है और जांच समिति के आदेश को अलग रखा है।
पीठ ने यह भी कहा कि मिरांडा, जिन्होंने ईस्ट इंडियन होने का दावा किया
था (जो ओबीसी के अंतर्गत आता है), उनकी याचिका पर सुनवाई के योग्य हैं,
उनके समुदाय के समृद्ध सांस्कृतिक लक्षणों और पृष्ठभूमि के अलावा, उनके
दावे को एक पुजारी द्वारा पुष्ट किया गया है।
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