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सुप्रीम कोर्ट मंगलवार सुबह 10.30 बजे महाराष्ट्र राज्य में राज्यपाल की भूमिका पर फैसला करेगा

सोमवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने सभी पक्षों को सुना और फ्लोर टेस्ट पर फिलहाल कोई फैसला नहीं लिया है

सुप्रीम कोर्ट मंगलवार सुबह 10.30 बजे महाराष्ट्र राज्य में राज्यपाल की भूमिका पर फैसला करेगा
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महाराष्ट्र में चल रहे राजनितीक उठापठक के बीच सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को भी इस मामले में सुनवाई जारी रही। रविवार को शुरु हुई इस सुनवाई में कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को देवेंद्र फड़नवीस और इजत पवार द्वारा राज्यपाल को दिये गए समर्थन की चिठ्ठी और राज्यपाल द्वारा देवेंद्र फड़णवीस को सरकार बनाने के लिए दिये गए आमंत्रण पत्र को पेश करने के लिए कहा था।  सोमवार को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सारे दस्तावेज कोर्ट के सामने रखे जिनमे ये दोनो पत्र भी शामिल थे। कोर्ट अब इस मामले में मंगलवार सुबह 10.30 बजे फैसला देगा।  

कांग्रेस एनसीपी और शिवसेना ने की तुरंत फ्लोर टेस्ट कराने की मांग 

सुप्रीम कोर्ट में तीनों पार्टियों की ओर से बहस करते हुए कपिल सिब्बल और मनु सिंघवी ने अपनी बात रखी। कपिल सिब्बल ने कहा की  चुनाव पूर्व गठबंधन (बीजेपी और शिवसेनाके फेल होने के बाद ही हमने वैकल्पिक सरकार बनाने का फैसला किया।जब राज्यपाल ने इतने दिनों तक इंतजार किया, तो वह कौन सी आपात स्थिति थी जिसके लिए सुबह 5.47 बजे राष्ट्रपति शासन हटाना और सुबह बजे सरकार स्थापित करना आवश्यक था।सब कुछ शुक्रवार को सुबह बजे और शनिवार सुबह 5 बजे के बीच हुआ। यह तीनों दलों के गठबंधन की सरकार बनाने से पहले किया गया था। ऐसी क्या इमरजेंसी थी जो सुबह इतनी जल्दी शपथ ग्रहण किया गया?

ये लोकतंत्र की हत्या- सिंघवी

वरिष्ठ वकिल अभिषेक मनु सिंघवी ने भी कोर्ट में एनसीपी की ओर से पक्ष रखाष उन्होने कहा की " आज कोर्ट आधिपत्य से पहले एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि फ्लोर टेस्ट होना चाहिए।हस्ताक्षर की एक सूची थी, लेकिन क्या यह कहा गया कि विधायक भाजपा का समर्थन करने के लिए सहमत थे। एक कवरिंग पत्र के बिना हस्ताक्षर हो सकते हैं। उन्होने कहा की हस्ताक्षर वाले 54 विधायकों की सूची है। लेकिन क्या वे कहते हैं कि वे भाजपा का समर्थन करेंगेइसके साथ ही उन्होने कहा की  यह लोकतंत्र की हत्या है। 


न्यायालय राज्यपाल को निर्देश जारी नहीं कर सकता - रोहतगी

बीजेपी की ओर से बोलते हुए वरिष्ठ वकिल मुकुल रोहतगी ने कहा की" मैं याचिका पर हलफनामा दायर करूंगा। मामले में अंतरिम आदेश की जरूरत नहीं है, अंतरिम आदेश का कोई मामला नहीं है,न्यायालय राज्यपाल को निर्देश जारी नहीं कर सकता है,राज्यपाल पर हमला पूरी तरह से निराधार हैकिसी व्यक्ति को चुनने में राज्यपाल को पूर्ण विवेक होता है। फ्लोर टेस्ट कब आयोजित करना है, यह राज्यपाल का भी विवेक है,विधानसभा की प्रक्रिया, प्रोटेम स्पीकर नियुक्त की जाएगी, वह विधायकों को शपथ दिलाएंगे, फिर वे स्पीकर का चुनाव करेंगे और फिर फ्लोर टेस्ट आयोजित किया जाएगा"


तुषार मेहता ने मांगा दो से तीन दिन का समय

सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने राज्यपाल के सचिव की ओर से बहस की। उन्होने कोर्ट में कहा की" मेरे पास मूल दस्तावेज हैं, गवर्नर ने तीनों पार्टियों को सरका बनाने के आमंत्रण दिया था, जिसके बाद तीनों पार्टियों द्वारा सरकार ना बनाने के बाद राष्ट्रपति शासन लगा अजित पवार के पत्र में राज्यपाल से कहा गया की उनके पास पूरे 54 विधायको का समर्थन है और वह एनसीपी के विधायक दल के प्रमुख है, फड़णवीस द्वारा दिये गए पत्र में फडणवीस-पवार सरकार को 170 विधायकों का समर्थन प्राप्त होने की बात कही गई है, राज्यपाल के पास उन्हें अविश्वास करने का कोई कारण नहीं था"। इसके साथ ही उन्होने कहा की उन्हे दो से तीन दिनों का समय जवाब दाखिल करने के लिए चाहिये।


अजित पवार के वकिल मनिंदर सिंह ने भी रखा पक्ष

सुप्रीम कोर्ट में अजित पवार का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ वकिल   मनिंदर सिंह ने कोर्ट में कहा की" अजित पवार दिया गया पत्र कानूनी है, मैंने (अजीत पवारने एनसीपी के नेता के रूप में काम किया और यह दिखाने के लिए कुछ भी विपरीत नहीं है कि मैं 22 नवंबर को एनसीपी का नेता नहीं था, मैंने( अजित पवार ने 22 नवंबर को एनसीपी विधायक दल के प्रमुख के रूप में काम कियाऔर राज्यपाल ने उस पर आधारित विवेक का प्रयोग किया। 

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