उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के गठबंधन की चर्चा जोरों पर है। दोनों ठाकरे भाइयों ने इस बारे में सकारात्मक बयान दिए हैं। इस बारे में जब उनसे पूछा गया कि संदेश क्यों भेजें, वे तो सीधे खबर ही देते हैं, तो उद्धव ठाकरे ने आज जवाब दिया कि 'मनसे'।
इसके पहले भी गठबंधन की बातें हुई है फेल
इसलिए ठाकरे के गठबंधन की चर्चा ने जोर पकड़ लिया है। कहते हैं कि राजनीति में कुछ भी हो सकता है। महाराष्ट्र ने 2019 से ही यह देखा है। 2014 और 2017 में लगा था कि दोनों दल गठबंधन करेंगे। लेकिन सही समय पर बातचीत विफल हो गई। लेकिन अब ठाकरे ब्रांड संकट में है। दोनों भाइयों को एक-दूसरे की पहले से कहीं ज्यादा जरूरत है।
विधानसभा चुनाव में महा विकास अघाड़ी बिखर गई। ठाकरे की शिवसेना, पवार की एनसीपी और कांग्रेस 50 के आंकड़े तक भी नहीं पहुंच पाई। तब से तीनों दलों की एकता ज्यादा देखने को नहीं मिली है।कांग्रेस और शरद पवार की एनसीपी को शक है कि उद्धव ठाकरे राज के साथ गठबंधन करेंगे। कांग्रेस और ठाकरे को संदेह है कि दोनों एनसीपी एक साथ आकर हाथ मिला लेंगे।
महायुति में वर्चस्व की राजनीति
महाविकास अघाड़ी के सूत्रधार शरद पवार अगर साथ छोड़ देते हैं तो गठबंधन का कोई मतलब नहीं रह जाएगा। दूसरी ओर विधानसभा में अच्छा प्रदर्शन कर रही महायुति में वर्चस्व की राजनीति चल रही है। चूंकि वह सत्ता में है, इसलिए तीनों दलों में जोरदार आवक है। इससे एक-दूसरे को प्रोत्साहन मिल रहा है। एकनाथ शिंदे भाजपा को लेकर सशंकित हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे फिलहाल उद्धव और राज के बीच गठबंधन की बातचीत पर नजर रखे हुए हैं। क्योंकि अगर दोनों ठाकरे साथ आते हैं तो सबसे ज्यादा नुकसान शिंदे को ही होगा। इसलिए उन्होंने समय-समय पर अपने करीबियों को राज ठाकरे के पास भेजकर शिंदे के लिए संवाद का रास्ता खुला रखा है।
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