एनसीपी ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मांग की है कि वे भीमा कोरेगाव आंदोलन में शामिल आंदोलनकारियों पर भी चल रहे केस को रद्द करने का आदेश पारित करें। इसके पहले उद्धव ठाकरे ने आरे के करशेड के खिलाफ कर रहे आंदोलनकारियों और नाणार आंदोलनकारियों पर से केस हटाने का आदेश दिया था, जिसके बाद एनसीपी की तरफ से यह मांग रखी गयी है। मंगलवार को एनसीपी के विधायक प्रकाश गजभिये ने इस बारे में मुख्यमंत्री को एक पत्र सौंपा है। इस मौके पर एनसीपी के प्रदेशाध्यक्ष जयंत पाटील और सीनियर नेता छगन भुजबल भी उपस्थित थे।
पत्र में कहा गया है कि तत्कालीन फडणवीस सरकार ने भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा के कारण अनेक कार्यकर्ता और महिलाओं पर गंभीर धाराओं के तहत केस दर्ज किया है। साथ ही इंदु मिल आंदोलन में अनेक युवाओं पर भी केस दर्ज किये गये हैं। युवाओं पर लगे इस केसों को रद्द करेक इन्हें न्याय दिलाया जाए।
भीमा कोरेगाव दंगलीत सामाजिक कार्यकर्ते व नागरिकांविरुद्ध तत्कालीन भाजप सरकारने हेतुपुरस्सर नोंदवलेले गुन्हे मागे घेण्याची मागणी मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे यांना केली. भाजप सरकारच्या अत्याचारात बळी ठरलेल्यांना न्याय देण्याचे काम मुख्यमंत्र्यांनी करावे.#BhimaKoregaon @CMOMaharashtra pic.twitter.com/Jve8fMVw1r
— Dhananjay Munde (@dhananjay_munde) December 3, 2019
पत्र में फडणवीस सरकार को दलित विरोधी बताते हुए आगे कहा गया है कि बीजेपी सरकार बुद्धिजीवियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और निर्दोषों को नक्सली बता कर उन पर झूठे केस दर्ज किया है, इन सभी केसों को वापस लिया जाना चाहिए। जिसके बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने पत्र लेकर केस को रद्द करने का आश्वासन दिया।
आपको बता दें कि 1 जनवरी 2018 में पुणे के भीमा कोरेगांव इलाके में हिंसा भड़क गयी थी। जिसमें अनेक लोग घायल हुए थे। इसके बाद तत्कालीन फडणवीस सरकार ने कई लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था।