बीएमसी ने निर्णय लिया है कि बेस्ट (बृहन्मुंबई इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट) की भंगार हो चुकी बसों में वह चलते-फिरते शौचालयों (portable toilet) का निर्माण कराएगी। हालांकि इस प्रस्ताव को शिवसेना ने काफी पहले ही पेश किया था जिसे अब जाकर बीएमसी की मंजूरी मिली है। ऐसा होने से मुंबई में खुले में शौचालय करने की समस्या से काफी हद तक निजात मिले जाएगी।
शौचालयों की संख्या काफी कम
अकसर देखा गया गया है कि अगर किसी राह चलते राहगीर को शौच जाने की आवश्यकता पड़ती है तो उसे ढूंढने पर भी सार्वजनिक शौचालय नहीं मिलता। शुगर के रोगियों और महिलाओं के लिए तो यह समस्या और भी गंभीर हो जाती है। और जो छोटे-मोटे शौचालय होते भी हैं तो उनकी स्थिति देख कर वहां जाने का मन नहीं करता। इसीलिए मजबूर होकर लोग सड़क पर ही पेशाब करते हुए दिखाई दिए जाते हैं। इस बाबत बीएमसी को कई शिकायतें भी मिलीं हैं।
शौचालयों की आवश्यता
इसे देखते हुए बीएमसी ने एक पंथ-दो काम कहावत को चरितार्थ करते हुए निर्णय लिया है कि खराब हो चुकीं बेस्ट की बसों में ही शौचालयों को निर्माण कराया जाएगा, और ऐसे चलते-फिरते शौचालयों को कहीं भी खड़ा कर उसका उपयोग किया जा सकता है।
शिवसेना के नगरसेवक सचिन पडवल ने इस बारे में कहा कि बेस्ट की बसों में शौचालयों का निर्माण करके उसे मांग के अनुसार भीड़ वाली जगहों या फिर ऐसे किसी भी स्थानों पर खड़ा किया जा सकता है जहां उसकी आवश्यकता हो।
कांग्रेस का विरोध
हालांकि कांग्रेस की तरफ से इसका विरोध हुआ। बीएमसी में विरोधी पक्ष और कांग्रेस के नेता रविराजा का कहना है कि 'बेस्ट' ही क्यों? बेस्ट मुंबई की पहचान है, बेस्ट का अपना एक इतिहास है। वे कहते हैं कि बीएमसी या MMRDA को मेट्रो या फिर मोनो स्टेशनों पर शौचालयों का निर्माण कराना चाहिए, लेकिन बेस्ट की खराब बसों में नहीं।
भावना के साथ नहीं होगा खिलवाड़
रविराजा की बातों का जवाब देते हुए बेस्ट समिति के अध्यक्ष आशीष चेंबूरकर ने कहा कि, हम किसी की भावनाओं के साथ कोई खिलवाड़ नहीं करेंगे। बसों में जब शौचालयों का निर्माण होगा तो बेस्ट का लोगो और कलर को हटा दिया जाएगा उस पर दूसरा पेंट चढ़ा देंगे।
बीएमसी का अच्छा निर्णय
यह किसी से नहीं छुपा है कि मुंबई की जितनी जनसंख्या है उस अनुपात में शौचालयों की संख्या काफी कम है। अभी भी कई स्थानों पर लोग खुले में शौच करने के लिए अभिशप्त हैं। राह चलते अगर किसी को शौच लग जाती है तो उसे दूर-दूर तक कोई शौचालय नहीं मिलता। इसीलिए कहा जा सकता है कि बीएमसी का यह निर्णय काफी अच्छा और लोगों के हित से जुड़ा हुआ है।