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हैंकॉक ब्रिज, हाईकोर्ट ने रेलवे को सुनाई खरी खरी


हैंकॉक ब्रिज, हाईकोर्ट ने रेलवे को सुनाई खरी खरी
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हैंकॉक ब्रिज के पुनर्निर्माण को लेकर हाईकोर्ट ने रेलवे को फटकार लगाते हुए कहा कि आने जाने के लिए अगर कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं थी तो आपने किस आधार पर यह ब्रिज गिराया। बता दें कि रेलवे ने इस ब्रिज को खतरनाक बताते हुए जनवरी 2016 में बीएमसी की मंजूरी के बाद गिरा दिया था। तब से लेकर अब तक यह ब्रिज नहीं बन पाया है जिससे आने जाने वाले को काफी तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है। इस ब्रिज के पुनर्निर्माण को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता कमलाकर शेनॉय ने कोर्ट में एक याचिका दाखिल की है।

कोर्ट ने सुनाई खरी खरी 

बुधवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने रेलवे की क्लास लेते हुए उससे पूछा कि ब्रिज के गिरने से आने जाने वालों को काफी तकलीफ हो रही है खास स्कूली बच्चों को जिन्हे अब घूम कर आना जाना पड़ रहा है, क्या तुम्हे इस बात की जानकारी है? हाईकोर्ट ने ब्रिज किस तरह से और कैसे बनेगा इसे लेकर रेलवे की क्या योजना है जैसे सभी दस्तावेज बुधवार को पेश करने का आदेश दिया।

इसके पहले दायर की गयी याचिका के आधार पर कोर्ट ने सुनवाई के दौरान रेलवे को आदेश दिया था कि वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में आर्मी द्वारा जल्द से जल्द एक ब्रिज का निर्माण करवाया जाए, लेकिन रेलवे की तरफ से इस आदेश का भी पालन नहीं किया गया।

'समस्या नहीं समाधान बताओ' 

कोर्ट ने बड़ी ही बेरुखी के साथ रेलवे को चेतावनी दी कि अगर आप आम लोगों की समस्या को हल नहीं कर पा रहे हैं तो वेतन किस बात का ले रहे हैं,इसीलिए कोर्ट ने अब रेलवे से कहा है कि समस्या नहीं समाधान बताओ, ब्रिज किस तरह से तैयार होगा इसे लेकर आपकी क्या योजना है। बुधवार को अब सारे दस्तावेज रेलवे को कोर्ट के सामने प्रस्तुत करना होगा।

बता दें कि सैंडहर्स्ट रोड और भायखला के बीच 135 साल पुराने इस ब्रिज को जनवरी 2016 में तोड़ दिया गया था। जिसके बाद से ही लोग इसके निर्माण की राह देख रहे हैं।



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