मुंबई की दूसरी लाइफ लाइन कही जाने वाली बेस्ट बस का दिवाली से पहले दिवाला निकल गया है। कर्ज से पूरी तरह से पस्त हुई बेस्ट बस से 500 करोड़ रुपये की वसूली के लिए शहर कलेक्टर ने 3 अकाउंट सीज करने के आदेश दे दिए हैं। लेकिन बेस्ट प्रशासन और बेस्ट समिती के द्वारा परिवहन मंत्री से गुहार लगाने के बाद बेस्ट को कुछ राहत मिली है।
क्या है मामला?
आपको बता दें कि नियमतः बेस्ट को प्रति टिकट पर टैक्स के रूप में 15 पैसे अधिभार यातायात विभाग के पास जमा कराना पड़ता है, अगर एक टिकट के पीछे 15 पैसे का हिसाब जोड़े तो बेस्ट की सैकड़ों बसें मुंबई में चलती हैं और हजारों टिकटों की बिक्री भी होती है। इस हिसाब से लाखों रूपये का अधिभार बेस्ट को देना पड़ता है। लेकिन पिछले 8 सालों से आर्थिक तंगी के चलते बेस्ट यह अधिभार नहीं चुका पा रही है। बताया जाता है कि 2010 से अब तक यह अधिभार बढ़ कर लगभग 500 करोड़ रुपए हो गया है। इसे लेकर बेस्ट प्रशासन ने कई बार बीएमसी सहित राज्य सरकार से भी गुहार लगाई लेकिन किसी की तरफ से कोई सहायता नहीं की गयी।
जिला अधिकारी ने दिए बैंक खाते सील के आदेश
जिला अधिकारी एस. आर जोंधले ने मुंबई लाइव से बात करते हुए बताया कि इतनी बड़ी राशि को देखते हुए यातायात विभाग ने इसकी शिकायत की थी, शिकायत के बाद बेस्ट के तीन बैंक खाते सील करने के आदेश दे दिए गए।
मिली राहत
बेस्ट समिति के सदस्य सुनील गणाचार्य ने बताया कि खाते को सील करने की बात बेस्ट समितीचे अध्यक्ष आशिष चेंबुरकर और परिवहन मंत्री ने तुरंत कदम उठाते हुए अपने अधिकारी का इस्तेमाल किया और इस कार्रवाई को स्थगित करने का आदेश दिया।
राहत कब तक?
दिवाली को देखते हुए बेस्ट बस को कुछ वक्त की मोहलत दी गई है। बेस्ट से रिकवरी के लिए समय सीमा बढ़ा दी है। साथ ही बीएमसी ने भी बेस्ट की मदद से हाथ खींच लिए हैं और पैसे का सहयोग देने से इनकार कर दिया है। मंत्री जी के दखल देने के बाद बेस्ट को फौरी तौर पर कुछ राहत तो मिल गयी लेकिन यह राहत कब तक बरकरार रहेगी यह कहना मुश्किल है।