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सरकार के लिए सफ़ेद हाथी साबित होता मोनो रेल, फ्लॉप होने के बाद भी खर्च में बढ़ोत्तरी

आश्चर्यजनक वाली बात या है कि मोनो के इस रुट का काम 2011 में ही होने वाले था। इस रुट के काम की डेडलाइन अब तक 11 बढ़ाई जा चुकी है और 236 करोड़ रूपये अतिरिक्त खर्च हुए हैं। यह सारी जानकारी आरटीआई के तहत मिली है।

सरकार के लिए सफ़ेद हाथी साबित होता मोनो रेल, फ्लॉप होने के बाद भी खर्च में बढ़ोत्तरी
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चेंबूर-वडाला मोनो रेल को आग लगने के कारण बंद हुए छह महीने से अधिक का समय बीत चुका हैं। बावजूद इसके अभी तक उसके चलने को कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं। जबकि दूसरी तरफ वडाला से संत गाडगे महाराज चौक (जैकब सर्कल) मोनो रेल सेवा के दूसरे चरण का काम अभी तक अधूरा पड़ा हुआ है। आश्चर्यजनक वाली बात या है कि मोनो के इस रुट का काम 2011 में ही होने वाले था। इस रुट के काम की डेडलाइन अब तक 11 बढ़ाई जा चुकी है और 236 करोड़ रूपये अतिरिक्त खर्च हुए हैं। यह सारी जानकारी आरटीआई के तहत मिली है।


कैसे बढ़ गए अतिरिक्त खर्च?
आरटीआई कार्यकर्त्ता अनिल गलगली ने मुंबई महानगर प्रदेश विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीए) से जानकारी के अधिकार के तहत मोनो रेल योजना में अब तक खर्च हुए अतिरिक्त राशि की जानकारी मांगी थी। एमएमआरडीए ने जो जानकारी उपलब्ध कराई उसके मुताबिक़ पहले चरण और दूसरे चरण के लिए कुल 2460 करोड़ रूपये का अपेक्षित खर्च का लक्ष्य रखा गया था। जिसमें से अब तक 2136 करोड़ रूपये खर्च हो चुके हैं। जबकि अभी भी एमएमआरडीए प्राधिकरण समिति, की तरफ से 236 करोड़ रूपये अतिरिक्त दिए गए। यह अतिरक्ति खर्च कब और कैसे बढ़े इसकी तरफ से कोई जानकरी एमएमआरडीए की तरफ से नहीं दिए गए।

 
घाटे में मोनोरेल?
क्या यह योजना अब सरकार के लिए सफ़ेद हाथी साबित हो रही है। क्योंकि जो मनो रेल चल रही थी उसे भी आम लोगों की तरफ से कोई अच्छा रेस्पॉन्स नहीं मिला। आखिर क्या कारण है कि जो योजना इतने जोर शोर से शुरू की गयी वह आग लगने के कारण पिछले छह महीने से बंद पड़ी है। और जो वडाला से जैकब सर्कल तक दूसरी मोनो रेल परियोजना है उसका काम भी बेहद धीमी गति से चल रहा है। आशंका यह भी जताई जा रही है कि मोनो रेल की फ्लॉप सेवा को देखे हुए मोनो के 7 योजनाओं को रद्द किया जा सकता है। आपको बता दें कि सरकार की तरफ से मोनो रेल की कुल 9 योजनाएं शुरू की जाने वाली थी जिनमे से अभी तक मात्र दो सही शुरू हो पायीं हैं। उनमें भी एक बंद है और दूसरे का काम बेहद ही धीमा है।


संबंधित अधिकारियों पर हो कार्रवाई 
इस बारे में गलगली का कहना है कि आखिर फ्लॉप मोनो रेल योजना पर सरकार की तरफ से जनता का पैसा क्यों बर्बाद किया जा रहा है। आखिर क्यों इसे शुरू करने से पहले इसके सभी पक्षों पर ध्यान क्यों नहीं दिया गया। मोनो के काम में जो ढिलाई हो रही है और उसका जो बजट बढ़ रहा है उसका जिम्मेदार कौन है? ऐसे अधिकारीयों पर तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए।

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