मार्च महीने में जब कोरोना वायरस (Coronavirus) का आगमन हुआ तो उसके कारण मुंबई लोकल (mumbai local train) सेवा सहित तमाम परिवहन के साधन बंद कर दिए गए। लेकिन अनलॉक (unlock) के दौरान धीरे धीरे एक एक करके पहले आपातकालीन सेवा में रत लोगों को यात्रा की मंजूरी दी गई और उसके बाद कुछ और क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों को भी मंजूरी दी गई। हालांकि इसमें महिलाएं भी शामिल हैं, जिन्हें कुछ शर्तों के साथ मंजूरी मिली है।
हालांकि तमाम मांग और आंदोलन के कारण भी अभी तक आम लोगों को लोकल से यात्रा करने की मंजूरी आम लोगों को नहीं दी गई है। अब अपनी मांग मनवाने के लिए यात्रीगण व्हाट्सएप (whatsapp) के माध्यम से आंदोलन (protest) करने की तैयारी कर रहे हैं।
इस आंदोलन के बारे में यात्री एसोसिएशन ने के एक सदस्य ने कहा कि, हमारी मांग है कि, आम लोगों को भी लोकल ट्रेंन से यात्रा करने की मंजूरी मिले। हमारी मांग नहीं मानने पर हजारों यात्री अपने व्हाट्सएप डीपी पर सरकार के खिलाफ 'आम नागरिकों के लिए मुंबई लोकल ट्रेन शुरू करो', 'local train for all' के नारे के साथ एक फ़ोटो पोस्ट करेंगे।
उन्होंने कहा, लोकल ट्रेनों की कमी के कारण मुंबई सहित आसपास के इलाकों में किसानों और दूध विक्रेताओं को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। यात्रियों के लिए कोई विकल्प नहीं होने के कारण सड़कों पर यातायात की भीड़ बढ़ती जा रही है, जिसके कारण प्रदूषण (pollution) दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। सरकार ने आम जनता को लोकल ट्रेन से यात्रा करने की अनुमति नहीं दी है क्योंकि यात्रियों की भीड़ से कोरोना संक्रमण (corona pandemic) बढ़े सकता है। इस बीच, बाजार के साथ-साथ ST और BEST की बसों में भी भीड़ लगातार बढ़ रही है।
आम लोगों को लोकल से यात्रा करने की अनुमति नहीं देने के सरकार के फैसले के खिलाफ गुस्सा बढ़ता ही जा रहा है। कसारा-आसनगांव-टिटवाला के साथ-साथ कर्जत-बदलापुर-अंबरनाथ के किसान और दूध के व्यापारी अपना उत्पाद बाजारों तक पहुंचाने के लिए सड़क मार्ग से जा रहे हैं।
कई दूध व्यापारी सुबह-सुबह 40 लीटर के 5-6 कंटेनर वाहन से लेकर चलते हैं। इन वाहनों के पहिये सड़क पर पड़े गड्ढे के कारण दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं।
यात्री संगठन ने चेतावनी दी है कि, अगर 8 दिनों में सभी के लिए लोकल ट्रेन शुरू नहीं की जाती है, तो यात्रियों के गुस्से के लिए राज्य सरकार जिम्मेदार होगी।
ट्रैवलिंग फेडरेशनद्वारा सवाल उठाते हुए प्रशासन से पूछा कि, क्या आम लोगों द्वारा आंदोलन या रेल रोके जाने के बाद ही सरकार स्थानीय यात्रा की अनुमति देगी?