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मेट्रो-3 की उपयोगिता पर उठे सवाल, कैसे यात्रियों को मिलेगा लाभ?


मेट्रो-3 की उपयोगिता पर उठे सवाल, कैसे यात्रियों को मिलेगा लाभ?
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मुंबई – कुलाबा-बांद्रा-सिप्ज मेट्रो-3 मार्ग को रेलवे मार्ग से जोडने से रेलवे का भार कम होगा, ऐसा दावा मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन द्वारा किया जा रहा है। लेकिन इस दावे को झूठा बता रहे हैं आरटीआई कार्यकर्ता और मेट्रो-3 में पेड़ों के काटेने के खिलाफ याचिका दाखिल करने वाले झोरू बाथेना। उनका कहना है कि मेट्रो-3 में 27 स्टेशनों में से केवल तीन ही मेट्रो स्टेशन रेलवे स्टेशनों से जोड़े गए हैं। शेष मेट्रो स्टेशन रेलवे स्टेशनों से बहुत दूर हैं। जिससे मेट्रो-3 का सपना दिखाने को झोरू बाथेना ने झूठा बताया।

चर्चगेट, सीएसटी और मुंबई सेंट्रल के तीन रेलवे स्टेशन मेट्रो स्टेशन से जोडा जाना है। ये तीनों रेलवे स्टेशन आस-पास ही हैं, लेकिन बाकी 24 मेट्रो स्टेशन रेलवे से नहीं जोड़ा जाएगा। जिससे इसका फायदा यात्रियों को पूरी तरह से नहीं मिल पाएगा।

मेट्रो-3 की योजना 1991 में तैयार की गई थी। तब कुलाबा, चर्चगेट और सीएसटी आर्थिक केंद्र थे, जिसे विचार में रखते हुए मेट्रो मार्ग तैयार किया गया था। लेकिन बाद में बीकेसी, एमआयडीसी, अंधेरी नए आर्थिक केंद्र के रुप में विकसित हो गए। ऐसे में 2017 में मेट्रो निर्माण के दौरान एमएमआरसी 1991 की योजना पर कैसे काम कर रही है। बाथेना ने कहा कि इस योजना का यात्रियों को अच्छा प्रतिसाद नहीं मिल पाएगा।

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