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Movie Review: स्पोर्ट्स पर्सन की जिंदगी, लव और गंदी राजनीति का मिश्रण है ‘मुक्काबाज’!

जातिवाद, भ्रष्टाचार, राजनैतिक दखलंदाजी के चलते लोगों के सपने कई बार कुचल दिए जाते हैं। स्पोर्ट्स में यही सच्चाई उजागर करने का प्रयास अनुराग कश्यप ने अपनी फिल्म ‘मुक्काबाज’ में किया है।

Movie Review: स्पोर्ट्स पर्सन की जिंदगी, लव और गंदी राजनीति का मिश्रण है ‘मुक्काबाज’!
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 फिल्मः मुक्काबाज

कास्टः विनीत कुमार सिंह, जोया हुसैन, जिमी शेरगिल, रवि किशन

स्टारः 4


कहते हैं इंसान टैलेंट अपने जन्म के साथ ही लेकर आता है, अगर उसे सही मार्गदर्शन और सही साथ मिल जाए तो वह खुद के साथ साथ पूरे देश का नाम रौशन कर सकता है। पर जातिवाद, भ्रष्टाचार, राजनैतिक दखलंदाजी के चलते लोगों के सपने कई बार कुचल दिए जाते हैं। स्पोर्ट्स में यही सच्चाई उजागर करने का प्रयास अनुराग कश्यप ने अपनी फिल्म ‘मुक्काबाज’ में किया है। उनकी यह फिल्म लोकल लेवल पर स्पोर्ट्स में होने वाली गंदी राजनीति को उजागर करती है। इस फिल्म में स्पोर्ट्स कोटा से जिन्हें नौकरी मिलती है उनका शोषण किस कदर होता है वह भी बाखूबी दिखाया गया है। एक बॉक्सर को चपरासी का काम करना पड़ता है, उसे सरकारी नौकर कम पर्सनल नौकर ज्यादा समझा जाता है। साथ ही लोकल नेता ‘भारत माता की जय’ के नाम पर कैसे किसी की भी कहीं भी धुनाई करा सकते हैं।


कहानी  

फिल्म ’मुक्काबाज’ की कहानी उत्तर प्रदेश के शहर बरेली से शुरु होती है। श्रवण कुमार सिंह (विनीत कुमार सिंह) एक बॉक्सर है। जिसका सपना राष्ट्रीय स्तर का चैंपियन बनने का है। उसने बरेली के पूर्व बॉक्सर लोकल गुंडा और राजनेता भगवान दास मिश्रा (जिमी शेरगिल) के यहां बॉक्सिंग सीखी है, और उसी की भतीती सुनैना मिश्रा (जोया हुसैन) से प्यार कर बैठा है। और साथ ही शादी भी करना चाहता है। पर जातिवाद की सोच के चलते भगवान दास श्रवण को चैंपियन बनने का एक भी मौका नहीं देता। जबकि उसे पता है कि श्रवण के सामने कोई भी बॉक्सर नहीं टिक सकता। पर एक दिन श्रवण भड़क जाता है और भगवान दास को एक मुक्का जड़ देता। इसके बाद भगवान दास श्रवण को प्रॉमिस करता है कि वह उसे राष्ट्रीय स्तर तो दूर की बात जिला स्तरीय बॉक्सिंग चैंपियनशिप में भी नहीं उतरने देगा। इस दौरान श्रवण को बुरा से बुरा दौर देखना पड़ता है।

भगवान दास और श्रवण एक दूसरे के जानी दुश्मन बन जाते हैं। अब क्या श्रवण नेशनल बॉक्सर बन पाएगा? क्या उसकी शादी सुनैना से हो पाएगी? यह सब जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।


एक्टिंग

यह फिल्म पूरी तरह से विनीत सिंह पर बेस्ड है। विनीत को पहली बार किसी फिल्म में लीड रोल मिला है, पर उनकी एक्टिंग में बड़े बड़े एक्टर को धूल चटाने का माद्दा दिखता है। उन्हें देखकर लगता ही नहीं कि वे फिल्म में कहीं एक्टिंग कर रहे हैं, वे काफी नेचुरल नजर आए। वहीं एक्ट्रेस जोयाने गूंगी लड़की का किरदार बाखूबी निभाया है। भगवान दास के किरदार को जिमी शेरगिल ने जिस तरह से जिंदा किया है, वह किसी और के बस की बात नहीं थी। जिमी की एक्टिंग की जितनी तारीफ हो उतनी कम है। वहीं रवि किशन भी अपने किरदार में फबे हैं।


म्यूजिक 

फिल्म का म्यूजिक इतना जबर्दस्त है कि आप थियेटर से निकलने के बाद भी ‘मुश्किल है अपना मेल प्रिये’ और ‘बहुत हुआ सम्मान’ गाने गुनगुनाते रहेंगे। ‘पैंतरा’ तो पहले ही हिट हो चुका है, पर थिएटर में इसे देखने का अपना अलग ही मजा है।

अगर आप जबर्दस्त एक्टिंग, एक्शन और लव स्टोरी के शौकीन हैं, तो ‘मुक्काबाज’ आपको जरूर देखनी चाहिए। इस फिल्म को आप पूरी फैमिली के साथ प्लान कर सकते हैं। क्योंकि इस फिल्म में गाली गलौज नहीं है। 

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