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पुरानी गाड़ियां जाएंगी भंगार में, सरकार ने वाहनों के लिए बनाई नई नीति

इस नीति के तहत पुरानी कारों के जीवनकाल को सुनिश्चित करते हुए नई कारों की लागत को कम करने में मदद करेगा। सरकार ने दावा किया कि, इस फैसले से वाहन निर्माण क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार भी पैदा होंगे।

पुरानी गाड़ियां जाएंगी भंगार में, सरकार ने वाहनों के लिए बनाई नई नीति
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केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (finance minister nirmala sitaraman) ने वित्तीय वर्ष 2021-22 का बजट पेश करते हुए 'वोलंटरी व्हीकल स्क्रैपिंग पॉलिसी' को मंजूरी देने की महत्वपूर्ण घोषणा की। इस नीति के तहत पुरानी कारों के जीवनकाल को सुनिश्चित करते हुए नई कारों की लागत को कम करने में मदद करेगा। सरकार ने दावा किया कि, इस फैसले से वाहन निर्माण क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार भी पैदा होंगे।

'व्हीकल स्क्रेपिंग पॉलिसी' के तहत यह तय किया जाएगा कि, आपकी पुरानी कार की वैधता कितनी है, आपकी कार कितनी पुरानी है, आपकी कार सड़क पर कब तक चलने लायक है? साथ ही इस पॉलिसी के तहत 

निजी वाहनों को 20 साल, व्यवसायिक वाहनों को 15 वर्षों के बाद सड़क पर चलने की अनुमति नहीं दी जाएगी। साथ ही वाहन मालिकों को स्वचालित फिटनेस केंद्रों पर समय-समय पर वाहनों को पंजीकृत करना अनिवार्य होगा।

इस फैसले के पीछे का उद्देश्य पुराने वाहनों को सड़क से हटाना है। ऐसा इसलिए क्योंकि 15 साल पुराने वाहन प्रदूषण (pollution) में इजाफा करते हैं। इन वाहनों की रीसेल कीमत भी बहुत कम हो जाती है। स्क्रैप में जाने वाले पुराने वाहन प्रदूषण को नियंत्रण में लाएंगे ही साथ ही तेल आयात लागत को भी कम करने में मदद मिलेगी।

पिछले कई महीनों से वाहन स्क्रैपिंग पॉलिस पर काम चल रहा है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने इस नीति को मंजूरी दे दी है। जैसे ही यह नीति अप्रैल 2022 से लागू होगी, पुरानी ट्रेनें अब स्क्रैप में चली जाएंगी।

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि, केंद्र सरकार ने 2030 तक देश को पूरी तरह से ई-मोबिलिटी बनाने का लक्ष्य रखा है। ऑटो इंडस्ट्री कई सालों से इस फैसले का इंतजार कर रही है। इसलिए, यह घोषणा ऑटोमोटिव क्षेत्र के लिए काफी सकारात्मक होगी।

इस नीति से वाहनों की मांग बढ़ेगी क्योंकि सड़क पर पुराने वाहनों की संख्या कम हो जाती है, बढ़ी हुई मांग मोटर वाहन उद्योग को बढ़ावा देगी, प्रतिस्पर्धा बढ़ने से वाहनों की कीमतों में भी कमी आएगी, इससे केवल उपभोक्ताओं को लाभ होगा। दावा किया गया है कि बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।

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