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लाखों रुपये की मशीन और करोड़ो की देखभाल , क्या बीएमसी में हुआ एक और घोटाला?

सभी मशीनों को खरिदने के लिए 2 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे , लेकिन इन मशीनों की देखभाल के लिए पहले ही साल 3 करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगे।

लाखों रुपये की मशीन और करोड़ो की देखभाल , क्या बीएमसी में हुआ एक और घोटाला?
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मलनि:सारण के लिए मलनि:सारण विभाग की ओर से सात सक्शन मशीन की खरिददारी की जा रही है। इन सभी मशीनों को खरिदने के लिए 2 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे , लेकिन इन मशीनों की देखभाल के लिए पहले ही साल 3 करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगे। इस कांट्रेक्ट के लिए सिर्फ दो ही कंपनियां आगे आई है । इन दोनों कंपनियों को कार्य देने के बाद आनेवाले आठ सालों के लिए ये इन दोनों ही कंपनियों की मशीनों की देखभाल के लिए 40 करोड़ रुपये दिये जाएंगे। अब इसके बाद एक फिर से ये सवाल खड़ा हो रहा है की आखिर जिम मशीनों की किमत लाखों में है उनके रखरखाव के लिए करोड़ो रुपये क्यो खर्च किये जा रहे है। क्या कही इसमें कोई घोटाला तो नही?


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मलनि:सारण विभाग के माध्यम से शहर, पूर्व उपनगरों और पश्चिम उपनगरों में मुख्य जल निकासी के लिए नालों की साफ सफाई की जाती है। ये सफाई वाहनों पर लगाए गए मशीनों द्वारा की जाती है। इस मशीन की मदद से मैनहलों की मिट्टियों को निकाला जाता है। छोटे लगी यानी की संकीर्ण लेन में मलनि:सारण के लिए बड़े आकार और उच्च क्षमता वाली वाहनों पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।


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बीएमसी के निकाले गए टेंडर के अनुसार मुंबई शहर के लिए हिंडुस्तान इंजिनियरिंग कॉर्पोरेशन कंपनी को पात्र किया गया है। इस कंपनी से 4 वाहन की खरिदी की जाएगी। ये पूरे वाहन 24 लाख 75 हजार रुपये के हिसाब से 99 लाख में खरिदे जाएंगे। और इसके साथ ही चार मशीनों की देखभाल के लिए आनेवाले 8 सालों के लिए इसका ठेका भी दिया जाएगा, इन आठ सालों में मशीन पर कुल 19.24 करोड़ रुपये रखरखाव पर खर्च किये जाएंगे।


तो वही पूर्व उपनगर के लिए मेसर्स आयपीडब्ल्यूटी कार्पोरेशन कंपनी को पात्र माना गया है और इस कंपनी की ओर से 3 मशीनें खरीदी जाएंगी जिसकी कुल किमत होगी 73 लाख 50 हजार रुपये। इसके साथ ही इन मशीनों की देखरेख के लिए भी कंपनी को आठ साल को ठेका दिया जाएगा, इस आठ साल में तीन मशीनों की देखरेख में 13.76 करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगे।


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विपक्ष के नेता रवि राजा ने इसका जोरदार विरोध किया है। उनहोने कहा की मशीनों का खर्च लाखों में है तो फिर करोड़ो रुपये उसकी देखभाल के लिए कुछ ठिक नहीं लग रहा है। इसके साथ ही उन्होने आरोप लगाया की दो कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए इसकी लागत बढ़ाई गई।

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