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प्रतिबंध के बावजूद लोगों ने जमकर फोड़े पटाखे, इस इलाके में रहने वालों ने तो हद ही कर दी!

पटाखे फोड़ने पर लगे प्रतिबंधों के बावजूद मुंबई (mumbai) के कई हिस्सों सरकार के आदेश की धज्जियां उड़ाई गईं और जमकर पटाखे फोड़े गए।

प्रतिबंध के बावजूद लोगों ने जमकर फोड़े पटाखे, इस इलाके में रहने वालों ने तो हद ही कर दी!
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कोरोना (Coronavirus) को देखते हुए इस बार राज्य सरकार ने लोगों से कम पटाखे (cracker) फोड़ने की अपील की थी। हालांकि सरकार के इस अपील की लोगों पर कोई खास असर नहीं पड़ा और लोगो ने भी पटाखे फोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

एक आंकड़े के मुताबिक, मुंबई के शिवाजी पार्क (shivaji park) इलाके में 105.5 डेसीबल तक आवाज का स्तर दर्ज किया गया, जो यह दर्शाता है कि इस इलाके में सबसे अधिक पटाखे फोड़े गए।

पटाखे फोड़ने पर लगे प्रतिबंधों के बावजूद मुंबई (mumbai) के कई हिस्सों सरकार के आदेश की धज्जियां उड़ाई गईं और जमकर पटाखे फोड़े गए। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (national green tribunal)  और मुंबई नगर निगम (BMC) द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के कारण, कई लोगों ने ध्वनिरहित पटाखों को प्राथमिकता दी, जैसे चकरी, बारिश, और फुलझड़ी जला कर दिवाली मनाया।

आवाज फाउंडेशन (AAWAJ FOUNDATION) के सुमेरा अब्दुलाली ने शनिवार को रात 10 बजे (पटाखे फोड़ने के बाद) शहर के कुछ हिस्सों में शोर के स्तर को मापा। और जो आंकड़ा सामने आया, वो इस प्रकार था। शहर में सबसे अधिक शोर का स्तर शिवाजी पार्क में 105.5 डेसिबल दर्ज किया गया। साइलेंट जोन (silent zone) घोषित होने के बाद भी इस इलाके में लोगो ने जमकर पटाखे फोड़े।

हालांकि, स्थानीय लोगों ने यह भी दावा किया कि पिछले कुछ वर्षों की तुलना में इस वर्ष पटाखे कम फोड़े गए।

पिछले साल यानि 2019 में दिवाली के दौरान शहर में आवाज का स्तर 112.3 डेसिबल था, तो साल 2018 में 114.1 और 2017 में यह 117.8 डेसिबल दर्ज किया गया था।

आंकड़ों को देखे तो आवाज का स्तर लगातार कम हो रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि पटाखों से होने वाले ध्वनि और वायु प्रदूषण के बारे में अब नागरिक अधिक से अधिक जागरूक हो रहे हैं। साथ ही इस बार कोरोना के कारण लोगों की आर्थिक स्थिति बेहद ही दयनीय है और ऊपर से महंगाई की दोहरी मार। इसलिए भी लोग पटाखे खरीदने से हिचक रहे थे। साथ ही इस बार प्रशासन की भी तरफ से पटाखों के उपयोग पर प्रतिबंध भी लगा दिया था।

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