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मुंबई में फिर एक बार "ब्लैक फ्राइडे" !


मुंबई में फिर एक बार  "ब्लैक फ्राइडे"  !
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अगर समय पर सुन ली होती आवाज , तो नहीं होता ये हादसा...! मुंबई ने शुक्रवार को फिर एक ब्लैक फ्राइडे देखा, मुंबई ने अपने ही गोद में रहनेवालों को फिर से एक बार मरते देखा। 12 मार्च 1993 में मुंबई में लगातार सिलसिलेवार धमाके का दिन भी शुक्रवार ही था, और एलफिन्स्टन स्टेशन पर भगदड भी शुक्रवार को हुई।

भगदड में 22 लोगों की मौत हो गई जबकी 36 लोग घायल हो गए। इस हादसे की तस्वीरें इतने भयावह थी की किसी को कुछ समझ में आता की क्या हुआ , तब तक 22 परिवारो ने अपनों को खो दिया था। शुक्रवार सुबह 10.30 बजे के आसपास एलफिन्स्टन स्टेशन पर शॉट सर्किट की अफवाह फैली , जिसके बाद लोगों में भगदड मच गई।

 लोग एक दूसरे पर चढ़कर अपनी जान बचाने के लिए भागने लगे। मानों जैसे हर कोई बस अपनी जान बचाने के लिए भाग रहा हो, कईयों में सीढियों के किनारें का सहारा लेकर अपनी जान बचाई। जो खुशनसीब थे, उनकी जान बच गई लेकिन जो इस भगदड़ में अपने आप को नहीं बचा पाए , उनके घरो में मातम पसरा है।

                                                             ( घायलों के नाम)
अगर समय पर सुन ली होती आवाज
ऐसा नहीं है की सरकार या रेल मंत्रालय को इस ब्रिज की स्थिति के बारे में पता नहीं था, मुंबई के कई नेताओं और नागरिको ने रेल मंत्रालय और रेल मंत्री को लगातार इस बाबत पत्र लिखकर ब्रिज की स्थिति से अवगत कराते रहे और ब्रिज के रिपेयर की मांग करते रहे। लेकिन रेलवे को बार बार जानकारी मिलने के बाद भी इस मुद्दे पर रेल मंत्रालय  ने कोई भी कदम नहीं उठाया।

शिवसेना सांसद राहुल शिवाले ने 23 अप्रैल 2015 को सुरेश प्रभु को पत्र लिखकर फुट ओवरब्रिज को चौड़ा करने की मांग की थी, तो वही शिवसेना के ही सांसद अरविंद सावंत ने भी इस ब्रिज के चौरिकरण के लिए रेलवे मंत्री को पत्र लिखा।

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2015 में मुंबई की पूर्व महापौर श्रद्धा जाधव ने भी रेल मंत्री को पत्र लिखकर एलफिन्स्टन ब्रिज की स्थिति के बारे में जानकारी दी थी।


मुंबईकर भी लगातार उठाते रहे है आवाज
नेताओं के साथ साथ आम मुंबईकरो ने भी सोशल मीडिया के जरिए रेलवे और सरकार को इस ब्रिज की खराब हालत के बारे में लगातार बताते रहे है। लोगों ने तो यहां तक कह दिया था की क्या रेलवे इस ब्रिज के गिरने का इंतजार कर रही है? हाल ही में एलफिन्स्टन स्टेशन का नाम बदलकर प्रभादेवी किया गया है, जिसे लेकर लोगों ने रेलवे मंत्री पर तंज कसना शुरु कर दिया है की स्टेशन के नाम बदलने को लेकर सरकार एक्शन में दिखती है लेकिन जब बात बुनियादी सुविधाओं की आती है तो कोई एक्शन नहीं लिया जाता।


लोगों ने फेसबुक पेज बनाकर इस ब्रिज की स्थिति के बारे में अभियान छेड़ रखा है।

 इन तीनों ने बचाई कई जानें

मुंबई के रहनेवाले  सागर जाधव, रोहित पवार और विराज सालवी ने इस हादसे में अपने जान की परवाह ना करते हुए सैकड़ो की जान बचाई, ये तीनों पहले ब्रिज से उतर चुके थे, लेकिन जब देखा की लोग एक दूसरे को दबाकर भगदड़ में भाग रहे तो इन तीनों ने फंसे हुए लोगों को खिंचकर बाहर निकालना शुरु किया।  

हादसे के जांच के आदेश

हालांकी की नये नवेले रेल मंत्री पीयूष गोयल ने खानापूर्ति के लिए इस घटना के जांच के आदेश दे दिया है और सीएम देवेंद्र फडणवीस ने मृतको के परिजनो को 5-5 लाख का मुआवजा देने का ऐलान कर दिया है।


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