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दुर्घटना को दावत देते खुले मेनहोल्स, घोषणा के बाद भी 550 मेनहोल्स बिना जालियों के

हादसे के बाद बीएमसी ने घोषणा की थी कि मुंबई के सभी मेनहोल्स में जाली लगा कर उन्हें ढंका जायेगा ताकि उसमे पानी बह सकें लेकिन कोई गिरे नहीं।

दुर्घटना को दावत देते खुले मेनहोल्स, घोषणा के बाद भी 550 मेनहोल्स बिना जालियों के
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पिछले साल 29 अगस्त को मुंबई में बारिश के रूप में कहर बरपा था। इस बारिश ने 2005 में मुंबई में आये बाढ़ की भी याद दिला दी थी। इस बारिश में दुर्भाग्यवश डॉ. दीपक अमरापुरकर की वर्ली के मेनहोल में गिर जाने से मौत हो गयी थी। इस हादसे के बाद बीएमसी ने घोषणा की थी कि मुंबई के सभी मेनहोल्स में जाली लगा कर उन्हें ढंका जायेगा ताकि उसमे पानी बह सकें लेकिन कोई गिरे नहीं। बावजूद इसके मुंबई में अभी भी 550 मेनहोल्स में जाली नहीं लगायी गयी है।


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'जालियां लगाने का काम सुनिश्चित करें'
 बीएमसी कमिश्नर अजोय मेहता ने बीएमसी में हुई मासिक समीक्षा बैठक में मेनहोल्स के ढक्कनों और उसमें लगाए गए जालियों के संदर्भ में संबंधित विभाग से जानकारी लेते हुए उनसे कहा कि मुंबई के रेलवे स्टेशनों के आसपास स्थित मेनहोल्स, मंडियों, सिनेमा, नाट्यगृह सहित उन स्थानों पर भी जहां अधिक भीड़ भाड़ होती है और जहां बारिश का पानी जमा होने की संभावना है तो वहां जालियां लगाने का कार्य सुनिश्ति किया किया जाएं।


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900 मेनहोल्स में लगीं जालियां
इस बारे में संबंधित विभाग के अधिकारी ने कहा कि इन मानदंडों के आधार पर अगर कहीं भी जाली लगाना आवश्यक प्रतीत होता है तो संबंधित विभागीय सहायक आयुक्त को पर्जन्य विभाग को सूचित करना चाहिए। सुरक्षा की दृष्टि से अभी भी ऐसे स्थानों पर जालियां लगाने का काम चल रहा है। 1450 मेनहोल्स में से 900 मेनहोल्स में जालियां लगाने के काम  हो चुका है जल्द ही अन्य मेनहोल्स में भी जालियां लगाने का काम किया जायेगा।

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