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मकर संक्रांति : महंगे हुए तिल, गुड़ और शक्कर

बताया जाता है कि, कोरोना के कारण घोषित किये गए लॉकडाउन में कई उद्योगधंदे बंद हो गए। साथ ही महंगाई भी बढ़ गई, जिसके परिणामस्वरूप किसानों की फसलों की लागत भी बढ़ी, जिसमें गन्ना भी शामिल है।

मकर संक्रांति : महंगे हुए तिल, गुड़ और शक्कर
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दुनिया में फैले कोरोना वायरस के कारण इस बार सारे त्योंहार कोरोना की छाया में मनाना पड़ा। अब जबकि नया साल आने वाला है, और नए साल में सबसे पहला त्योंहार मकर संक्रांति पड़ती है, तो इस मौके पर चीनी, तिल और गुड़ की कीमतों में तेजी आई है। परिणामस्वरूप, चिक्की और लड्डू की कीमतें बढ़ गई हैं।  

बताया जाता है कि, कोरोना के कारण घोषित किये गए लॉकडाउन में कई उद्योगधंदे बंद हो गए। साथ ही महंगाई भी बढ़ गई, जिसके परिणामस्वरूप किसानों की फसलों की लागत भी बढ़ी, जिसमें गन्ना भी शामिल है। क्योंकि परिवहन लागत भी कुछ हद तक बढ़ गई है। यही कारण है कि गुड़ और शक्कर जैसे रोजमर्रा की वस्तुएं भी महंगे हो गए हैं।

जानकारों के मुताबिक, पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि हुई है। इसका सीधा असर बाजार की कीमतों पर इसका पड़ता है।

इसके अलावा कोरोना और लॉकडाउन के कारण इस साल बाजार में तिल और गुड़ की आवक कम रही। यही एक कारण है कि, तिल, गुड़ और चीनी की कीमतें ऐन संक्रांति से पहले 5 से 10 प्रतिशत तक बढ़ गई हैं।

मकर संक्रांति के दौरान बनाई जाने वाली मिठाइयों में तिल का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।  तिल, जो लॉकडाउन से पहले 180 रुपये प्रति किलो थे, उनकी कीमतें बढ़ कर इस समय मकर 200 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई हैं।

लॉकडाउन और उसके बाद हुई बेमौसम बारिश का गन्ने की खेती पर बड़ा असर पड़ा। परिणामस्वरूप, खुदरा बाजार में गुड़ की कीमतों में वृद्धि हुई।  तालाबंदी से पहले गुड़, जो 60 रुपये प्रति किलो तक बिक रहा था, लॉकडाउन के बाद वह 70 रुपये प्रति किलोग्राम तक हो गया है।

तालाबंदी के दौरान सार्वजनिक यातायात भी प्रभावित हुआ। उसके बाद, डीजल की कीमतों में वृद्धि के कारण, मुंबई में आने वाली चीनी अधिक महंगी हो गई।  लॉकडाउन से पहले चीनी जो 34 रुपये प्रति किलोग्राम थी, लॉकडाउन के बाद 38 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है।

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