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शिवड़ी के बिल्डर की धोखाधड़ी, 19 साल से ट्रांजिट कैंप में रहने को मजबूर कई परिवार


शिवड़ी के बिल्डर की धोखाधड़ी, 19 साल से ट्रांजिट कैंप में रहने को मजबूर कई परिवार
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चाल को विकसित कर फ्लैट बनाने का राज्य सरकार का सपना परवान चढ़ता नहीं दिखाई दे रहा है। शिवड़ी स्थित केके मोदी चाल के निवासियों को पुनर्विकास के नाम पर उनका मकान खाली करवा उन्हें ट्रांजिट कैंप भेज दिया गया. लेकिन निवासियों को यह कतई पता नहीं था कि इस ट्रांजिट कैंप में उनके जीवन के साल यहां बीत जायेंगे। यहाँ के निवासियों की माने तो उन्हें इस ट्रांजिट में रहते हुए 19 साल हो गये हैं, और कई लोग भाड़े के घर में रहने के लिए इधर उधर भटक रहे हैं।

केके मोदी चाल के पुनर्विकास का काम 1992 में एमबी बिल्डर्स ने लिया था लेकिन कुछ लोगों के विरोध के कारण यह चूल्हे नहीं चढ़ सका। इसके बावजूद बिल्डर द्वारा करीब उन 84 को ट्रांजिट कैंप में स्थान्तरित कर दिया जिन लोगों ने अपने घर का फाइल बिल्डर के पास जमा कर दिया था। इसके बाद अन्य बचे हुए लोगो को म्हाडा की तरफ से चाल को धोखादायक बताते हुए साल 2 हजार में ट्रांजिट कैंप में भेज दिया गया। साल 2003 में लोगों ने एमबी बिल्डर से एक नया कारार किया लेकिन पुनर्विकास के नाम पर बिल्डर स्वर एक भी ईंट नहीं रखी गयी। अब बिल्डर और म्हाडा के ट्रांजिट कैंप में रहते हुए निवासी नरक की जिन्दगी भोगने को मजबूर हैं। ट्रांजिट कैम्पों की स्थित भी बद से बदतर होती जा रही है।  

कई सालों से फ्लैट का झूठा आश्वासन मिलता देख अब निवसियों को मिला एनओसी रद्द करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट का रुख किया था। सुनवाई में हाईकोर्ट ने निवासियों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए बिल्डर का एनओसी रद्द करने का आदेश दिया जिसे देखते हुए म्हाडा ने बिल्डर का एनओसी रद्द कर दिया था। लेकिन बिल्डर की तरफ से म्हाडा के इस कार्य को फिर से कोर्ट में चुनौती दी गयी। इसके बाद कोर्ट की तरफ से बिल्डर को यह कह कर एनओसी दी गयी कि वह चाल के पुनर्विकास का कार्य जल्द से जल्द करें। लेकिन कोर्ट के आदेश को 8 महीने बीत जाने के बाद भी पुनर्विकास का कार्य शुरू नहीं किया गया। अब स्थानीय निवासी बिल्डर पर कोर्ट के आदेश की अवहेलना करने का आरोप लगा रहे हैं और फिर से बिल्डर के एनओसी को रद्द करने की मांग कर रहे हैं।

स्थानीय निवासी सुरेश नागप ने कोर्ट से निबेदन किया है कि इस बिल्डर का नाम ब्लैक लिस्ट किया जाए, इसके लिए स्थानीय निवासी लगातार म्हाडा के साथ पत्र व्यवहार भी कर रहे हैं लेकिन म्हाडा की तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाये जा रहे हैं।

 कोर्ट के आदेश के बाद भी पिछले 19 साल से बिल्डर पुनर्विकास के नाम पर कुछ नहीं किया। बिल्डर का एनओसी रद्द करने की मांग कोर्ट में विचाराधीन है। कोर्ट का आदेश आने के बाद ही हम अगला कदम उठाएंगे। निवासियों को उनक हक़ जरुर मिलेगा.... 

सुमंत भांगे, मुख्य अधिकारी,भवन निर्माण और पुनर्रचना मंडल,म्हाडा

जब मुंबई लाइव के संवाददाता ने इस मुद्दे पर बिल्डर से सम्पर्क किया तो बिल्डर ने ‘मेरा नंबर कहां से मिला। ऑफिस फोन करों’ कहते हुए फोन काट दिया। जब ऑफिस में फोन किया गया तो संबंधित व्यक्ति उपलब्ध न होने की बात की।

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