करीब 35 हजार छात्रों को अवैध रूप से कनाडा और अमेरिका भेजने का मामला सामने आया है। इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भावेश अशोकभाई पटेल और अन्य (डिंगुचा मामला) के खिलाफ चल रही जांच के सिलसिले में मुंबई, नागपुर, गांधीनगर और वडोदरा में आठ ठिकानों पर छापेमारी की। (ED raids eight places including Mumbai, Nagpur in connection with human trafficking)
आरोपियों पर मुंबई और नागपुर की दो संस्थाओं के जरिए छात्रों को विदेशी संस्थानों में दाखिला दिलाने का समझौता करने का संदेह है। इस कार्रवाई में उनके बैंक खाते में मौजूद 19 लाख रुपये फ्रीज कर दिए गए। दो मोटर वाहनों के साथ संदिग्ध दस्तावेज और डिजिटल डिवाइस भी जब्त किए गए।
मुंबई और नागपुर की दो संस्थाओं ने छात्रों को विदेशी विश्वविद्यालयों में दाखिला दिलाने के लिए कमीशन के आधार पर एक संस्थान के साथ करार किया है। अमेरिका में वैध रूप से प्रवास करने के इच्छुक छात्र इनसे संपर्क करते हैं। छापेमारी में पता चला कि इनमें से एक संस्था ने हर साल 25,000 छात्रों को और दूसरे ने 10,000 से ज्यादा छात्रों को विदेशी कॉलेजों में भेजा है।
इसके अलावा गुजरात में करीब 1700 और देशभर में 3500 दलाल इनसे जुड़े हैं, जिनमें से 800 सक्रिय हैं और कनाडा में करीब 112 कॉलेजों ने एक संगठन के साथ समझौता किया है, जबकि 150 से अधिक ने दूसरे संगठन के साथ समझौता किया है। ईडी इस मामले में इन संगठनों की संलिप्तता की जांच कर रही है। ईडी की ओर से जानकारी दी गई कि उन्होंने इस मामले में 10 दिसंबर और 19 दिसंबर को छापेमारी की थी।
क्या है मामला?
गुजरात का एक परिवार 19 जनवरी, 2022 को कनाडा-अमेरिका सीमा पर मृत पाया गया था। गुजरात के डिंगुचा गांव के चारों लोगों को अवैध रूप से अमेरिका भेजा गया था। गुजरात पुलिस ने इस मामले में अशोकभाई पटेल और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था। ईडी उन अपराधों के आधार पर मामले की जांच कर रही है। पता चला कि आरोपियों ने अमेरिका भेजने का लालच देकर प्रति व्यक्ति 55 से 60 लाख रुपये लेकर ठगी की।
कैसे होती है मानव तस्करी?
अमेरिका भेजे जाने के लिए आरोपी दलाल पहले छात्रों के नाम पर कनाडा के कॉलेज या यूनिवर्सिटी में दाखिला लेते थे। फिर उन्हें स्टूडेंट वीजा पर कनाडा भेज दिया जाता था। वहां पहुंचने के बाद अवैध रूप से आए लोगों को अमेरिका-कनाडा बॉर्डर के पार अमेरिका भेज दिया जाता था। कॉलेज और यूनिवर्सिटी में भाग न लेने की वजह से इन छात्रों की फीस वापस कर दी जाती थी। इस तरह से गिरोह काम करता था। लेकिन संबंधित व्यक्ति अवैध तरीके से अमेरिका पहुंच जाते थे।
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