मुंबई: दंगों में हुई 36 फीसदी तक बढ़ोत्तरी, प्रजा फाउंडेशन की रिपोर्ट

रिपोर्ट बताती है कि साल 2013-14 में दंगे के कुल 387 मामले दर्ज किये गए तो वहीं साल 2014-15 आंकड़ा घट कर 353 हो गया। लेकिन अगले ही साल यानी 2015-16 में यह आंकड़ा बढ़ कर 452 हो गया।

मुंबई: दंगों में हुई 36 फीसदी तक बढ़ोत्तरी, प्रजा फाउंडेशन की रिपोर्ट
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 महिलाओं के साथ अत्याचार लगातार बढ़ रहे हैं चाहें शहरी इलाके की महिलाएं हो या ग्रामीण भागो की। प्रजा फाउंडेशन ने मंगलवार को जारी अपनी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया। इस रिपोर्ट के मुताबिक़ साल 2013 से लेकर साल 2018 तक महिलाओं के खिलाफ छेड़छाड़ के मामलों में 95 फीसदी तक की वृद्धि हुई, जबकि शहरी इलाकों में धार्मिक उन्माद को लेकर दंगे भड़कने के मामले में 36 फीसदी की वृद्धि हुई।

नागरिकों के हित से जुड़े कई मुद्दों पर अपनी रिपोर्ट पेश करने वाली प्रजा फाउंडेशन की इस रिपोर्ट के अनुसार साल 2013-14 में महिलाओ के खिलाफ रेप के 432 मामले, छेड़छाड़ के 1209 मामले सामने आए। इस साल रेप के मामले में 83 फीसदी तो छेड़छाड़ के मामले में 95 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई। यही नहीं साल 2017-18 में रेप के 792 केस और छेड़छाड़ के 2358 केस दर्ज किये गए, इसके अलावा नाबालिग बच्चियों के साथ होने वाले अत्याचार के मामलों में 19 फीसदी की वृद्धि हुई. जबकि साल 2016-17 में इसी तरह के मामलों में 928 फीसदी की तो साल 2017-18 में 1062 मामले दर्ज किये गए।

इसके अलावा प्रजा की रिपोर्ट यह कहती है कि मुंबई में धार्मिक उन्माद के कारण भड़कने वाले दंगों में 36 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है। रिपोर्ट बताती है कि साल 2013-14 में दंगे के कुल 387 मामले दर्ज किये गए तो वहीं साल 2014-15  आंकड़ा घट कर 353 हो गया। लेकिन अगले ही साल यानी 2015-16 में यह आंकड़ा बढ़ कर 452 हो गया। इसके बाद यह आंकड़ा बढ़ता हुआ 2016-17 454 तो 2017-18 में 528 पहुंच गया। हैरान करने वाली बात यह है कि इस दौरान मुंबई में मर्डर, चोरी, चैन स्नेचिंग, वाहन चोरी जैसे मामलों में कमी देखने को मिली।  

प्रजा फाउंडेशन ने हंसा रिसर्च संस्था के द्वारा जो सर्वे कराया उसके मुताबिक 24,290 ऐसे घर हैं जहां कुछ न कुछ केस हुए थे लेकिन इन मामलों को पुलिस ने दर्ज नहीं कराया गया। इस रिपोर्ट के अनुसार 23 फीसदी लोगों को पुलिस से बात करना पसंद नहीं है। साथ ही 25 फीसदी ऐसे हैं जिन्होंने सिर्फ इसीलिए पुलिस के पास नहीं गए क्योंकि उनकी समस्या बड़ी नहीं थी।  

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