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खुद को कैमरे के सामने प्रिटेंड करती हूं, कैमरे के पीछे नहींः तापसी पन्नू


खुद को कैमरे के सामने प्रिटेंड करती हूं, कैमरे के पीछे नहींः तापसी पन्नू
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चश्मे बद्दूर फिल्म से बॉलीवुड में डेब्यू करने वाली एक्ट्रेस तापसी पन्नू को असल पहचान फिल्म पिंक से मिली। इस फिल्म में उन्होंने लोगों को ‘नो’ का मतलब सिखाया। इसके बाद रनिंग शादी डॉट कॉम और नाम शबाना जैसी फिल्मों में भी वे नजर आईं। पर अभी तक उनकी इमेज लोगों के बीच एक सीरियस टाइफ की एक्ट्रेस की ही रही। पर उन्होंने डेविड धवन की फिल्म जुड़वा-2 में बिकनी पहनकर दिखा दिया कि वे रोमेंटिक फिल्मों के लिए भी बनी है। हालांकि उन्हें बिकनी वाली तस्वीरों के लिए ट्रोल भी होना पड़ा। पर उन्होंने इसका सामना गुस्से से नहीं बल्कि ह्यूमर से किया। बॉलीवुड की इस बिंदास अदाकारा तापसी पन्नू से मुंबई लाइव ने खास मुलाकात की। जहां फिल्म और उनकी जिंदगी से जुड़े अहम मुद्दों पर बात हुई।

किसी हिट फिल्म के रीमेक में काम करना कितना डिफिकल्ट और चैलेंजिंग?

मैं सच बोलूं तो मेरे लिए जुड़वा के रीमेक में काम करना नाही डिफिकल्ट था और नाही चैलेंजिंग था। मेरे लिए सिर्फ एक ही चैलेंज था कि मुझे वरुण और जैकलीन के साथ डटा रहना है। मुझे किसी बात का नर्वसनेस, स्ट्रेस अभी तक नहीं है और नाही फिल्म की रिलीज तक होगा।

 डेविड धवन के साथ पहले भी काम कर चुकी हैं, क्या इसी वजह से जुड़वा-2 मिली?

मैं ये तो नहीं कह सकती कि फिल्म में उन्होंने (डेविड धवन) मुझे क्यों लिया, शायद इसका जवाब वही दे पाएं। पर हां यह तो है कि मैंने उनके साथ काम किया है। और वे जानते हैं कि मेरा क्या स्कोप है, मैं क्या डिलीवर कर सकती हूं, मेरी लिमिटेशन हैं कि नहीं? उन्हें अच्छे से पता है। शायद इन चीजों ने उन्हें निर्णय लेने में मदद की होगी। पर फिल्म में लेने की मुख्य वजह क्या थी, वह तो डेविड सर ही बता सकते हैं।

जुड़वा फिल्म कितनी बार देखी

जुड़वा-2 साइन करने के बाद एक बार भी मैंने जुड़वा फिल्म नहीं देखी है। मुझे लगता था कि अगर मैंने फिल्म देख ली तो मैं वैसा ही करने लगूंगी। मैंने जुड़वा बहुत पहले टीवी पर ही देखी थी।

ट्रोल को हैंडल करने के लिए खास तैयारी


कोई तुम्हे मारे और तुम उसे मारो, तबतो तुम पागल हो जाओगे। यह कभी भी जवाब देने का सही तरीका नहीं हो सकता। निगेटिव कॉमेंट्स को कभी भी गुस्से से रिप्लाई नहीं करती। मैं मानती हूं कि जवाब देने का सही तरीका आपका ह्यूमर होता है। मैंने वही किया, उस दिन मेरा मूड कुछ ज्यादा ही अच्छा था (हंसते हुए)। इस वजह से काफी अच्छे जवाब आ रहे थे।

ये बिंदास अंदाज बचपन से है?

हां मैं हमेशा से ऐसे ही रही हूं। पर इंडस्ट्री में आकर मेरा पैशन्स लेवल जरूर बढ़ा है। और उसके अलावा मेरा सोचने का तरीका वही है। मुझे खुद को प्रिटेंड करना सिर्फ कैमरे के सामने अच्छा लगता है, पर कैमरे के पीछे बिलकुल भी नहीं।

जुड़वा जहां पर खतम हुई, जुड़वा-2 की स्टोरी वहीं से आगे बढ़ेगी?

जुड़वा-2 रिलोडेड वर्जन है। 20 साल बाद किसी फिल्म का रिमेक आएगा तो बेशक लोगों के रहन सहन में बहुत ज्यादा बदलाव आएगा। खासकर लड़कियां तो बहुत ही चेंज हो जाएंगी। तो जुड़वा में जो लड़कियां थी अब की लड़कियां उनसे बिलकुल अलग हैं और उनका किरदार कैरेक्टर पूरी तरह से बदल गया है। सिचुएशन बदल चुकी हैं, बहुत हद तक स्टोरी लाइन बदल चुकी हैं। पर उसके 5-6 सीन्स जो आइकॉनिक हैं, वो सेम रखे गए हैं।

पहले सीरियस अब रोमेंटिक कॉमेडी फिल्म?

एक तरह के कैरेक्टर प्ले करते करते बोरिंग हो जाएगा। दर्शकों के लिए छोड़ भी दें पर मैं ही खुद से बोर हो जाऊंगी। इसलिए अब यह भी करके देखते हैं। अभी तक के रिएक्शन तो मिले जुले ही हैं। आय होप कि लोगों को आगे पसंद आए। इसके लिए बहुत मेहनत की है मैंने (हंसते हुए)।

वरुण के साथ काम करने का अनुभव?


बहुत स्ट्रेस लेता है, हर चीज को ओवर थिंक करता है। कई बार मैं उसको (वरुण धवन) बोलती हूं एन्जॉय कर ना, रिलेक्स होजा। पर वो अभी भी स्ट्रेस लेकर बैठा कि अब क्या कर सकते हैं। पर एक बात की दात देनी चाहिए कि वह काम के प्रति बहुत वफादार है, इसलिए उसका सक्सेस ग्राफ इतना अच्छा है।

कौन से जॉनर में खुद को देखती हैं?

मेरी कुछ फिल्में देखकर लोगों को लगने लगा है कि मैं बहुत ही सीरियस पर्सन हूं। पर पर्सलन लाइफ मैं बहुत मजाकिया हूं। मैं नॉर्मली कॉमेडी फिल्म ही देखने के लिए सर्च करती हूं। मुझे हंसना और हंसाना दोनों पसंद है। आज के टाइम पर कॉमेडी करना बहुत मुश्किल है, लोग स्ट्रेस लिए घूमते रहते हैं उन्हें हंसाना इतना आसान नहीं काम नहीं है। लोग चाहते हैं कि कोई उन्हें हंसाए। हर ऐरा के जोक्स अलग होते हैं 1990 के जोक्स आप 2017 में नहीं दिखा सकते लोगों को पकेगा।

फिल्मों के अलावा किस ओर रुझान?

मैं ट्रावल बहुत करती हूं। ट्रावल करने से पता चलता है कि आप दुनियां का एक छोटा सा हिस्सा हो, नाकी पूरी दुनियां। इसलिए ट्रावेलिंग जरूरी है। कई बार मैं अकेले ही निकल जाती हूं। मुझे स्पोर्ट्स बहुत पसंद है, मैं इसे फॉलो भी करती हूं और खेलती भी हूं। यह बचपन से रहा है और आज भी चलता आ रहा है। मेरी एक कंपनी है अगर कभी टाइम मिल जाता है तो ऑफिस के फूल पत्ते ठीक करके आ जाती हूं।

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