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पूर्व मुख्यमंत्री की सिंगर पत्नी अमृता फडणवीस की आवाज को लेकर ये क्या कह दिया मराठी फिल्मों के निर्माता निर्देशक ने

टिलेकर ने आगे लिखा है, "एक बार लोग गाय या भैंस की आवाज को सहन कर लेंगे, लेकिन इस गायिका की आवाज को सुनकर उसे श्रद्धांजलि देते हैं,

पूर्व मुख्यमंत्री की सिंगर पत्नी अमृता फडणवीस की आवाज को लेकर ये क्या कह दिया मराठी फिल्मों के निर्माता निर्देशक ने
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पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस (devendra fadnavis) की सिंगर पत्नी अमृता फड़नवीस (amruta fadnavis) का नया गाना भाऊबीज के दिन रिलीज किया गया। अमृता का यह गाना सोशल मीडिया (social media)पर काफी वायरल हो रहा है और इस गाने को नेटिज़न्स से मिली-जुली प्रतिक्रिया मिल रही है। कुछ ने अमृता के इस गाने की प्रशंसा की है, जबकि कुछ ने इसकी आलोचना की है। इसी कड़ी में मराठी फिल्मों के प्रसिद्ध निर्माता-निर्देशक महेश टिलेकर (mahesh tilekar) ने अपने फेसबुक (facebook) पोस्ट के माध्यम से अमृता फडणवीस के इस गाने की न केवल आलोचना की, बल्कि उन्होंने अमृता की आवाज को गाय-भैंस की आवाज से भी बुरा बताया।

महेश टिलेकर ने अपने फेसबुक पोस्ट पर एक लंबा चौड़ा पोस्ट लिखा है। उन्होंने अमृता फड़नवीस पर निशाना साधते हुए लिखा है कि, 'अच्छी आवाज के बावजूद, गायकों का नाम नहीं होता। बल्कि बहुत सारे पैसे भी होने चाहिए। इसलिए कोई भी नए गायकों की मदद नहीं करता और न ही उन्हें सपोर्ट करता है।

अच्छी आवाज वाले महाराष्ट्र के कई नए गायकों को एक अवसर भी नहीं मिलता है। लेकिन जिस आवाज को सुनकर कान के पर्दे फट जाने का डर होता है, और गाना अच्छा लगने के बजाय दुःख देने के लिए गाए जाते हो, ऐसी ही एक विश्वगायिका क्यों गा रही है?

टिलेकर ने आगे लिखा है, "एक बार लोग गाय या भैंस की आवाज को सहन कर लेंगे, लेकिन इस गायिका की आवाज को सुनकर उसे श्रद्धांजलि देते हैं, यह स्वघोषित गायिका मैं फिर से गाऊंगी, मैं फिर से गाऊंगी कह कर अपने गले को थोड़ा सा आराम क्यों नहीं दे रही है।"

टिलेकर के मुताबिक, "टी-सीरीज़ (T-series) जैसी कंपनी, जो हमेशा व्यवसाय को प्राथमिकता देती है, ऐसे गायक को बढ़ावा देने और उसे सुर्खियों में रखने के लिए सिर्फ पैसा खर्च करती है? इसके पीछे क्या मकसद हैं? यह एक अनसुलझी पहेली है।"

उन्होंने अमृता को एक सलाह देते हुए लिखा है कि, "अगर इस गायिका के पास बहुत सारे पैसे हैं, तो उसे एक संगीत विद्यालय शुरू करना चाहिए और नौसिखिए गायकों को संगीत की शिक्षा देनी चाहिए ताकि उन्हें अच्छे संगीत शिक्षकों द्वारा निर्देशित किया जा सके।"

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