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राजकुमार राव की ही ‘ट्रैप्ड’


राजकुमार राव की ही ‘ट्रैप्ड’
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दादर - ‘ट्रैप्डै’ हिंदी फिल्मों  की लीक से हट कर बनी एक फिल्म है जिसमें राजकुमार राव ने विक्रमादित्या मोटवाणी की कल्परना की उड़ान को पंख दे दिए हैं। फिल्म की कहानी शौर्य (राजकुमार राव) की है जो मुंबई की एक इमारत के 35वें फ्लोर के फ्लैट में फंस जाता है। लगभग 100 मिनट की इस फिल्मर में 90 मिनट राजकुमार राव पर्दे पर अकेले हैं और उतने ही मिनट फ्लैट से निकलने की उनकी जद्दोजहद जारी रहती है।

शौर्य उसका सिर्फ उसका नाम है पर वह चूहे से डरने वाला और नॉनवेज ना खाने वाला व्यक्ति है। पर फ्लैट नमें फंस जाने के बाद वह नॉनवेज भी खाने लग जाता है। राजकुमार राव ने अपनी एक्टिंग से फिल्म में जान फूंक दी है। फिल्म की एडिटिंग भी जबर्दस्त है। इस फिल्म को देखकर आप भी जागरुक होने की कोशिश में जुट जाएंगे, कि कभी भी अपने पास खाने की कुछ चीजें, लंबे समय तक बैट्री चलने वाला मोबाइल और संभव हो तो पावर बैंक भी लेकर चलें। क्योंकि फिल्म के दौरान एक सोच जागती है कि समय का भरोसा नहीं और इंसान कब ट्रैप्ड हो जाए।

फिल्म में शौर्य पर आए क्रमिक शारीरिक और मानसिक रूपांतरण को खूबसूरती से दिखाया गया है। साथ ही फिल्म   में कैमरे और साउंड का जबरदस्त् उपयोग हुआ है।



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