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Ganeshotsav Celebrations: BMC को अभी तक मात्र 150 आवेदन ही मिले

प्रत्येक वर्ष औसतन भेजे जाने वाले 3,000 से 4,000 आवेदनों की तुलना में इस वर्ष आवेदनों की संख्या काफी कम है।

Ganeshotsav Celebrations: BMC को अभी तक मात्र 150 आवेदन ही मिले
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मुंबई में कोरोना वायरस (Coronavirus in mumbai) से त्योहारों पर भी असर पड़ता दिखाई दे रहा है। महाराष्ट्र का सबसे बड़ा त्योहार गणेश चतुर्थी जो 22 अगस्त से शुरू हो रहा है, उसके लिए BMC को अभी तक मात्र 150 आवदेन ही प्राप्त हुए हैं। आपको बता दें कि कोरोना वायरस (Coronavirus pandemic) महामारी को देखते हुए सरकार की तरफ से इस बार सीमित छूट के साथ लोगों को गणेश चतुर्थी त्योंहार मनाने की अनुमति दी है।

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प्रत्येक वर्ष औसतन भेजे जाने वाले 3,000 से 4,000 आवेदनों की तुलना में इस वर्ष आवेदनों की संख्या काफी कम है। अधिकारियों ने यह भी उल्लेख किया कि जिन पंडालों को पिछले साल चलाने की अनुमति नहीं थी, उन्हें इस वर्ष नए सिरे से आवेदन करने की आवश्यकता नहीं है।

इसके अलावा, अधिकारियों ने इस वर्ष गणेश प्रतिमा की ऊंचाई को भी 4 फ़ीट से अधिक नहीं रखने की घोषणा की है। नियमानुसार पंडालों में 4 फ़ीट और घरों में 2 फ़ीट से अधिक ऊंची मूर्ति नहीं स्थापित कर सकते हैं।

इसके अतिरिक्त, बीएमसी (BMC) ने शहर भर में चलने वाले पंडालों को अपने स्वयं के कोरोना संबंधी नियमों को लागू करने का आदेश दिया है।

जिसके तहत पंडालों और मंडलों को कड़ाई से सोशल डिस्टेंस (social distance) का पालन करना होगा। सभी को मास्क लगाना अनिवार्य होगा। साथ ही फूल या माला जैसे प्रसाद पर प्रतिबंधित होंगे। पंडालों को दिन में तीन बार सेनेटाइज करना अनिवार्य होगा।और एक समय में एक पंडाल में केवल पांच सदस्यों को ही रहने की अनुमति दी जाएगी।

शहर के सबसे लोकप्रिय गणेश मंडल में से एक, 'लालबागचा राजा' (lalbaugcha raja) गणेशोत्सव मंडल ने इस साल समारोह को पूरी तरह से बंद करने का निर्णय लिया है, जबकि कुछ ने लोगों ने रक्तदान, प्लाज्मा दान शिविर स्थापित करने सहित जागरूकता शिविर या अभियान चलाने का सुझाव दिया है।

COVID-19 महामारी से जूझती मुंबई में लगातार इस वायरस का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है। इसीलिए प्रशासन की तरफ से भी सार्वजनिक कार्यक्रमों पर रोक लगाने का निर्णय लिया है।

इसे ध्यान में रखते हुए, प्रशासन लोगों से आगे आकर रक्तदान या प्लाज्मा दान करने की अपील कर रहा है ताकि इससे दूसरे मरीज ठीक हो सकें।

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