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मुंबई में काली पीली टैक्सियों की अस्तित्व की लड़ाई!


मुंबई में काली पीली टैक्सियों की अस्तित्व की लड़ाई!
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मुंबई की काली पीली टैक्सियों की पहचान विश्वभर में की जाती है, लेकिन अब इन्ही काली पीली टैक्सिय़ों का अस्तित्व खतरे में है। पहले तो परमिट के लिए राज्य सरकार ने टैक्सियों के नए परमिट की फ्रिज किया , बाद में ओला , उबर जैसी कई बड़ी कंपनियों मे इन काली पीली टैक्सियों का बाजार खत्म सा कर दिया। पिछले कुछ सालों में काली-छीलों की कमी के साथ अब मुंबई में अब सिर्फ 22 फिसदी काली पीली टैक्सियां बची है। इसका मतलब है कि मुंबई मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र में हर काली-पेली के लिए, तीन एग्रीगेटर कैब हैं।


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पिछलें 2 दशकों में आई भारी गिरावट

लगभग 19, 000 काली-पेली अब सड़कों पर हैं जो की 1997 में 63,000 थी। 1997 के बाद, टैक्सियों के लिए नए परमिट को फ्रिज कर दिया गया था और 2012 तक टैक्सियों की संख्या 38,000 हो गई। हालांकी इसके बाद भी टैक्सियों की कम होती संख्या को रोका नहीं जा सका। ओला और उबर जैसे कंपनियों के प्रवेश से मुंबई जैसे बड़े शहरों में टैक्सियों की मांग कम होने लगी।

टैक्सी ड्राइवर भी कर रहे ओला -उबर का रुख

टैक्सियों की कम होती संख्या का आलम ये ही की अब कई काली पीली टैक्सी वालों ने ओला और उबर जैसी कंपनियों में अपने आप को रजिस्टर करा लिया है। आज लोग काली पीली टैक्सियों के तुलना में एसी से लैस गाड़ियों में घूमना ज्यादा पसंद करते है। इसके साथ ही कैब के किराएं भी काफई कम होते है, जिसके कारण अब शहर में काली पीली टैक्सियों का भी अस्तित्व खतरें में पड़ गया है।


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ऐप भी नहीं आया काम

हालांकी ऐसा नहीं है की समय समय पर काली पीली टैक्सियों ने अपने आप को नहीं बदला है , काली पीली टैक्सीवालों ने अपने लिए एक ऐप भी बनाया ताकी वह प्राइवेट कैब कंपनियों से टक्कर ले सके , लेकिन उनका ये ऐप प्राइवेट कंपनियों के ऐप से सामने काम फिके पड़ रहे है।


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