स्थानिय निकाय चुनाव के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य को आदेश दिया था की राज्य में 15 दिनों के भीतर चुनाव की तारीखो का एलान किया जाए। हालांकी अब राज्य में ओबीसी आरक्षण के चुनाव होता मुश्किल दिख रहा है। महाराष्ट्र सरकार में वरिष्ठ मंत्री छगन भूजबल का कहना है की बिना ओबीसी आरक्षण के महाराष्ट्र में चुानव नहीं हो सकते है। हालांकी सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा था की राज्य सरकार बिना ओबीसी आरक्षण के ही स्थानिय निकाय चुनाव कराएं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कयास लगाए जा रहे थे की इस साल सितंबर-अक्टूबर तक चुनाव हो सकते है। लेकिन मंत्री छगन भूजबल मे इस बयान के बाद अब बीएमसी के साथ साथ अन्य निकाय चुनाव में भी देरी हो सकती है।
महाराष्ट्र सरकार दो महीने में अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) पर अनुभवजन्य (imperial data) आंकड़ों के मिलान को समाप्त करना चाहती है और कोटा बहाल करने के लिए फिर से सुप्रीम कोर्ट जा सकती है। गुरुवार, 5 मई को, राज्य के मुख्यमंत्री, उद्धव ठाकरे ने शीर्ष अदालत के आदेश के आलोक में एक समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। रिपोर्ट के आधार पर बैठक के दौरान चुनाव में ओबीसी कोटा 27 फीसदी तक करने के सभी विकल्पों पर चर्चा हुई।
महाराष्ट्र सरकार ने जयंत बंथिया आयोग से आग्रह किया है कि अनुभवजन्य डेटा एकत्र करने के लिए एससी द्वारा निर्धारित ट्रिपल टेस्ट मानदंडों का पालन करने के लिए नियुक्त किया गया है। साथ ही अपनी रिपोर्ट शीघ्र देने को भी कहा है। राज्य सरकार ने निर्णय की समीक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट नहीं जाने का फैसला किया क्योंकि उसका मानना है कि इससे कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा।अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री विजय वडेट्टीवार ने ट्विटर पर कहा, "राज्य सरकार द्वारा पारित कानून को सुप्रीम कोर्ट ने उलट नहीं किया है। महाविकास गठबंधन की यह सुनिश्चित करने में स्पष्ट भूमिका है कि ओबीसी के अधिकारों से समझौता नहीं किया जाता है। ।"
इसके अलावा, प्रमुख ओबीसी नेता, छगन भुजबल ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की जिसमें उन्होंने टिप्पणी की, "महाराष्ट्र में चुनाव ओबीसी आरक्षण के बिना नहीं हो सकते हैं, महाविकास अघाड़ी ओबीसी आरक्षण को बचाने के लिए अपनी पूरी कोशिश कर रहे हैं।"
पंतप्रधान आणि भारत सरकारने लक्ष घालून हा प्रश्न सोडवला पाहिजे.महाराष्ट्रात होणाऱ्या निवडणुका ह्या ओबीसी आरक्षणाशिवाय होणार नाही, महाविकास आघाडी ओबीसी आरक्षण वाचविण्यासाठी सर्वोतोपरी प्रयत्न करत आहे. राज्य सरकार ओबीसी आरक्षणाच्या बाजूने ठाम उभे आहे. राज्य सरकारने प्रभाग रचनेबाबात pic.twitter.com/t4u0lSQYiO
— Chhagan Bhujbal (@ChhaganCBhujbal) May 5, 2022
भुजबल ने आगे कहा, "राज्य सरकार द्वारा वार्डों के गठन के संबंध में अध्यादेश को हटा दिया गया था। इस अध्यादेश के अनुसार, राज्य सरकार द्वारा वार्ड बनाने की शक्ति ली गई थी। राज्य सरकार ने इसे बनाते हुए नगरसेवकों की संख्या में भी बदलाव किया है। अब चुनाव कराना मुश्किल है।"
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