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...जब जिग्नेश मेवानी रोजी रोटी के लिए मुंबई में करते थे पत्रकारिता

दलित नेता जिग्नेश मेवानी दलित अधिकारों के लड़ने के लिए जाने जाते हैं।

...जब जिग्नेश मेवानी रोजी रोटी के लिए मुंबई में करते थे पत्रकारिता
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गुजरात चुनाव में बीजेपी ने बहुमत हासिल कर लिया है। हालांकि बीजेपी की इस जीत की राह काफी मुश्किल भी रही है। यह चुनाव इसीलिए भी चर्चा में रहा कि गुजरात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृहनगर है लेकिन इस चुनाव में तीन युवा चेहरों ने भी नेता के तौर पर अपनी अलग ही पहचान बनाई। ये तीन नाम हैं हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवाणी और अल्पेश ठाकोर।


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दलित अधिकारों के लिए उतरे जिग्नेश मेवाणी

दलित नेता जिग्नेश मेवानी दलित अधिकारों के लड़ने के लिए जाने जाते हैं। जिग्नेश ने बनासकांठा जिले की वडगाम सीट पर निर्दलीय लड़ कर 18,150 वोटों से जीत हासिल की है। मेवाणी ने बीजेपी के विजय चक्रवर्ती को भारी अंतर से हराया। इस सीट से जब मेवाणी ने बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़ने का इंतजार किया तो कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली। 

 

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'आजादी कूच' आंदोलन 

मेवाणी उस समय चर्चा में आए जब गुजरात के उना में दलितों के साथ अत्याचार की खबरें आनी शुरू हुई। मेवाणी ने इसके विरोध में 'आजादी कूच' नामसे एक आंदोलन भी शुरू किया था। विशेषज्ञों की मानें तो मेवाणी के मैदान में उतरने की वजह से बीजेपी की राह काफी मुश्किलें हो गयी थीं।


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मुंबई में कर चुके हैं पत्रकारिता

आपको भले ही इस बात पर यकीन न हो, लेकिन पेशे से वकील 35 वर्षीय जिग्नेश ने मुंबई में 3 साल तक पत्रकारिता भी की है। उनके मुंबई के मित्र अमित चावडा कहते हैं कि जिग्नेश ने मुंबई में 2006 से 2008 तक ये तीन साल मुंबई में बिताएं हैं, वे मुंबई में पत्रकारिता करते थे। अमित के अनुसार जिग्नेश बोरीवली के एक फ़्लैट में अपने कुछ मित्रों के साथ बतौर पेइंग गेस्ट रहते थे।











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