विधानसभा चुनाव के नतीजे एक महीने बाद राज्य में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में नई सरकार बनी, हालांकी अभी तक इस नई सरकार के मंत्रियों को उनके विभाग नहीं बांटे गये है। वजनदार विभाग को लेकर मंत्रियों में रस्साकशी शुरु है । हालांकी इस रस्साकशी में राज्य का किसान भी मर रहा है। बिन मौसम बारिश के कारण फसलों को बरबाद होने से नवंबर महिने में ही 300 किसानों ने आत्महत्या कर ली। पिछलें चार सालों में एक महिने में किसानों की आत्महत्या करने की सबसे ज्यादा संख्या बताई जा रही है।
70
प्रतिशत फसल नष्ट
राजस्व विभाग के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार,
अक्टूबर में बारिश के कारण राज्य में किसानों के मौतों की संख्या मेे काफी बढ़ोत्तरी हुई है। इस मानसून में,
किसानों की खरीफ की 70
प्रतिशत फसल नष्ट हो गई है। पिछले साल अक्टूबर से नवंबर तक,
आत्महत्या की घटनाओं में 61प्रतिशत की वृद्धि हुई।नवंबर में सूखाग्रस्त मराठवाड़ा क्षेत्र में 120 आत्महत्या तो वही दूसरी ओर विदर्भ में
112 किसानों ने आत्महत्या की है। 2019
में महाराष्ट्र में कुल 2532
किसानों ने आत्महत्या की। 2018
में
2518 किसानों ने आत्महत्या की थी।
बिन मौसम बारीश के कारण किसानों को काफी बड़ा नुकसान हुआ है। एक आकड़े के मुताबिक महाराष्ट्र के लगभग 1 करोड़ किसानों पर इस बारीश का असर हुआ है। इन एक करोड़ किसानो में से 44 लाख किसान माराठवाड़ा के है। हालांकी राज्य सरकार अब इन किसानों को नुकसान की भरपाई दे रही है। अधिकारियों का कहना है की किसानों को अभी तक
6552 करोड़ रुपये दिये गए है। ठआकरे सरकार आने के बाद किसानों की कर्जमाफी का एलान किया गया था,
इसके पहले साल 2017 में तत्कालिन देवेंद्र फड़णवीस सरकार ने 44 लाख किसानों का 18 हजार करोड़ रुपये मांफ किया था।
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