बीएमसी चुनाव में मिली करारी हार के बाद महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना एक बार फिर से अपने आप को खड़ी करने में लगी है। साल 2006 में राज ठाकरे ने एक भाषण के दौरान कहा था कि "सतत बदलाव, प्रगति के लक्षण हैं"। लेकिन अब इसी तरह की मांग पार्टी के दो कद्दवार नेताओं ने की है। मनसे उपाध्यक्ष अमेय खोपकर और पार्टी के पूर्व नगरसेवक संदीप देशपांडे ने अपने ट्विटर अकाउंट पर ट्विट किया है जिसमें उन्होंने लिखा है कि "सतत बदलाव , प्रगति के लक्षण है" राज साहब ने ये बात 19 मार्च 2006 को शिवाजी पार्क में कही थी, लेकिन इस संकल्पना की कार्यान्वयन पार्टी में होना चाहीए।" जिसके बाद अब इस खबरों को बल मिल रहा है कि कहीं ये दोनों नेता राज ठाकरे से दूर तो नहीं हों गए हैं।
सतत सकारात्मक बदल हे प्रगतीचे लक्षण !
— Ameya Khopkar (@MNSAmeyaKhopkar) April 21, 2017
राजसाहेब ठाकरे,
(19 मार्च 2006, शिवाजी पार्क)
मग या संकल्पनेची अंमलबजावणी पक्षात व्हायला हवी !
बीएमसी चुनाव में राज ठाकरे की पार्टी मनसे सोशल मीडिया पर भी अपनी उपस्थिति दर्ज करने में पीछे रही थी। गुरुवार को पार्टी बैठक का ओयजन किया गया। इस बैठक के बाद पूर्व विधायक और पार्टी के वरिष्ठ नेता बाला नांदगांवकर ने कहा कि पार्टी के पदाधिकारियों ने अपनी भूमिका राज ठाकरे के सामने प्रस्तुत की है। साथ ही राज ठाकरे ने पार्टी कार्यकर्ताओं को भी जनता तक पार्टी के कामों को ना पहुंचाने के लिए डांट भी लगाई। गौर करने वाली बात ये है कि इस बैठक में मनसे उपाध्यक्ष अमेय खोपकर और पूर्व नगरसेवक संदीप देशपांडे मौजूद नहीं थे।
सतत सकारात्मक बदल हे प्रगतीचे लक्षण !
— Sandeep Deshpande (@SandeepDadarMNS) April 21, 2017
राजसाहेब ठाकरे,
(19 मार्च 2006, शिवाजी पार्क)
मग या संकल्पनेची अंमलबजावणी पक्षात व्हायला हवी !
बैठक के दूसरे दिन यानि शुक्रवार को अमेय खोपकर और संदीप देशपांडे ने फेसबुक पर पोस्ट डालकर ये जाहिर करने की कोशिश की है कि वह पार्टी से नाराज है। हालांकी जब इस पोस्ट के बारे में संदीप देशपांडे से बात की गई तो उन्होंने कुछ भी बोलने से मना कर दिया। तो वहीं अमेय खोपकर, राज ठाकरे से मुलाकात कर अपना मत रखेंगे। पार्टी की स्थापना से लेकर पार्टी के साथ रहनेवाले शिशिर शिंदे भी इस बैठक से नदारद रहे।
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सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कई पार्टी कार्यकर्ता मौजूदा समय में पार्टी के कार्यपद्धति से नाराज चल रहे हैं। कार्यकर्ताओं का आरोप है कि कई बातें राज ठाकरे तक नहीं पहुंचाई जाती हैं।
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