महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के अध्यक्ष राज ठाकरे (raj thackeray) द्वारा हिंदुत्व विचारधारा अपनाने के बाद AIMIM के प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी (asaduddin owaisi) ने राज ठाकरे को मौसम की तरह रंग बदलने वाला नेता बताया। जिसके बाद मनसे ने भाषा की मर्यादा को लांघते हुए जवाब दिया कि, ओवैसी को मुंह संभाल कर बोलना चाहिए, वर्ना कान के नीचे का रंग कैसे बदलता है, यह उन्हें महाराष्ट्र में आने के बाद पता चल जाएगा।
मनसे ने 23 जनवरी को मुंबई के गोरेगांव में महाअधिवेशन आयोजित किया था। इस महाअधिवेशन में मनसे ने अपन भगवा झंडा लॉन्च किया था और बीजेपी द्वारा लाए गए CAA और NRC के समर्थन में बात कही थी। यही नहीं उन्होंने मस्जिद में लगे लाउड स्पीकर पर भी आपत्ति जताई थी।
मनसे के इस बयान पर सबसे पहेल MIM के सांसद इम्तियाज जलील ने विरोध किया था, उन्होंने राज ठाकरे को मनोरंजन बताते हुए कहा था, इतने दिनों बाद आखिर राज ठाकरे को मस्जिद के लाउड स्पीकर से आपत्ति क्यों होने लगी?
अब राज ठाकरे के बयान पर MIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का बयान आया है। ओवैसी ने कहा, राज ठाकरे मौसम की तरह रंग बदलने वाले नेता है वे रंगबदलू हिंदू हो गये हैं।
अब मनसे के कुछ नेताओं ने असदुद्दीन ओवैसी पर पलटवार किया है। मनसे के नेताओं ने भाषा की मर्यादाओं को लांघते असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ बयान दिया है।
मनसे के ठाणे जिलाध्यक्ष अविनाश जाधव (avinash jadhav) ने कहा, राज ठाकरे (raj thackeray) पर आरोप लगाने से लोग फ्री में फेमस हो जाते हैं। ओवैसी जब महाराष्ट्र में आएंगे तब उन्हें पता चलेगा कि कान के नीचे का रंग कैसे बदलता है?
इसके बाद मन के नेता अविनाश अभ्यंकर (avinash abhynkar) ने कहा कि, ओवैसी को मुंह संभाल कर बोलना चाहिए, मनसे की बहुत पहले से ही हिंदुत्व वाली विचारधारा रही है।
यही नहीं इसके पहले मनसे के नेता बाला नांदगावकर (bala nandgaonkar) ने भी एक विडियो शेयर करके इम्तियाज जलील पर निशाना साधा था. उन्होंने कहा था कि, मनसे से मत उलझो, नहीं तो क्या स्थिति होती है यह अबू आजमी से पूछ लो।
"एमआयएमच्या नेत्यांनी तोंड सांभाळून बोलावं. राजसाहेबांबद्दल हिन दर्जाची टीका सहन केली जाणार नाही. पुन्हा हि आगळीक झाली तर #मनसेदणका निश्चित. तो दणका कसा असतो हे त्या अबू आझमीला विचारा..." - मनसे नेते @BalaNandgaonkar pic.twitter.com/TBtyK1UmjP
— MNS Adhikrut (@mnsadhikrut) January 25, 2020
राजनीती में सभी पार्टी एक विचार के हो ऐसा नहीं होता, विरोध और समर्थन जरुरी है लेकिन इसी बीच किसी को भाषा की मर्यादा नहीं भूलनी चाहिए। मनसे के नेताओं को इस तरह के बयान देने से बचना चाहिए।