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मुलुंड के फोर्टिस अस्पताल ने डेंगू उपचार के लिए थमाया 21 लाख रुपये का बिल !

अस्पताल ने डेंगू के इलाज के लिए मृत मरीज के रिश्तेदारों को 21 लाख का बिल थामा दिया।

मुलुंड के फोर्टिस अस्पताल ने डेंगू उपचार के लिए थमाया 21 लाख रुपये का बिल !
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गुरुग्राम में एक प्राईवेट अस्पताल ने डेंगू के उपचार के लिए 18 लाख का बिल बनाया जिसके बाद इस मसले ने काफी तुल पकड़ा। तो वही अब ऐसा ही मामला मुंबई में भी सामने आया है। मुंबई के मुलुंड इलाके के फोर्टीस अस्पताल ने एक व्यक्ति के डेंगू के इलाज के लिए उससे 21 लाख का बिल दिया है। मरीज को 18 दिनों तक वेंटिलेटर पर रखा गया था और इसके बाद उसके परिजनों को 21 लाख का बिल थमा दिया गया।

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इस पूरी घटना का खुलासा किया है शिवसेना के विधायक और कार्यकर्ताओ ने। साहेब प्रतिष्ठान के अध्यक्ष संजय माशीलक ने फोर्टीस अस्पताल के सामने इससे जुड़े सारे कागजात रखे और अस्पताल पर आरोप लगाया की गरीबों के लिए इस अस्पताल में इलाज कराना अब संभव नहीं रहा है।

27 दिसंबर यानी की बुधवार को शिवसेना के भांडुप से विधायक अशोक पाटील, अंबरनाथ के विधायक डॉ. बालाजी किणीकर और साहेब प्रतिष्ठान के अध्यक्ष संजय माशीलकर ने मुलुंड के फोर्टीस अस्पताल में जाकर अस्पताल के अधिकारियों से मुलाकात की और उन्हे इस पूरे मसले के बारे में अस्पताल के अधिकारियों के कार्य पद्धति पर सवाल खड़े किये।


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क्या है फोर्टीस अस्पताल पर आरोप

मृत व्यक्ति को 10 दिनों तक वेंटिलेटर पर रख कर उसकी स्थिती खराब होनो का दावा किया गया। और अंत में मृतक के परिजनों को अस्पताल ने 21 लाख का बिल थमा दिया। लेप्टोस्पायरोसिस के मरीज के रिश्तेदारों को 20 लाख का बिल दिया तो वही एक 15 वर्षीय बच्चे को हार्ट ट्रांसप्लांट सर्जरी करनी थी, जिसे फोर्टीस अस्पताल में दाखिल कराया गया था। बच्चे को पिछलें एक महिने से दिल नहीं मिला, लेकिन अब डॉक्टरों की ओर से कहा जा रहा है की उसे हार्ट ट्रांसप्लांट की जरुरत नहीं है और बच्चे के परिजनों को 32 लाख का बिल थमा दिया गया।



ठाणे की एक महिला का प्रसव इस अस्पताल में किया गया था। च्चे को एनआईसीयू में रखा गया क्योकी उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। 5 दिन के लिए अस्पताल ने 50,000 हजार रुपये का बिल बनाया। लेकिन, माता पिता के पास तत्काल राशि का भुगतान करने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं थे। इसलिए उन्होंने 15 हजार रुपये पहले भरे। फिर बाद में 25 हजार रुपये का भूगतान किया। जिसके बाद अस्पताल ने बच्चे का मृत्यु प्रमाण पत्र माता-पिता को सौंप दिया।


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साहेब प्रतिष्ठान के अध्यक्ष और शिवसैनिक संजय माशीलकर का कहना है की " यहां के डॉक्टरों को दिन का 1 करोड़ का टार्गेट दिया जाता है। जिसके लिए डॉक्टर मरीजों और उनके रिश्तेदारों को डराते है। और जब एक बार मरीज भर्ती हो गया तो उनके परिजनों से ये लोग मनमाना पैसा वसूलते है। इस अस्पताल में 22 डॉक्टर है और सभी डॉक्टरों की पगार 10से 15 लाख है इसलिए उन्हे इस टार्गेट को पूरा करना होता है।

10 जनवरी तक का दिया गया है अल्टीमेटम

इस पूरे मामले में शिवसेना की ओर से अस्पताल को 10 जनवरी तक का अल्टीमेटम दिया गया है , जिसके बाद अगर दोषियों पर सख्त कार्रवाई नहीं की गई तो शिवसेना अपने स्टाईल में विरोध करेगी। इस दरम्यान अस्पताल ने कहा है की वो इस मामले में एक समिति की स्थापना करेगी और पूरे मामले की जांच करेगी।

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