सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई नगर निगम (BMC ) के सभी दुकानों पर बड़े अक्षरों में मराठी संकेत (Marathi sign board) ) लगाने के फैसले पर रोक लगा दी। मुंबई नगर निगम की सीमा के भीतर सभी दुकान प्रतिष्ठानों की नेमप्लेट बोल्ड मराठी में होना अनिवार्य कर दिया गया था। फेडरेशन ऑफ ट्रेडर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
अब बीएमसी इस मामले मे 18 दिसंबर यानी अगली सुनवाई तक कार्रवाई नहीं कर पाएगी। यदि दुकानों के साइनबोर्ड मराठी में मोटे अक्षरों में नहीं हैं तो कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। मुंबई नगर निगम की कार्रवाई को 18 दिसंबर यानी सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।
उद्धव ठाकरे सरकार के दौरान, मुंबई नगर निगम ने यह निर्णय लिया था कि मुंबई नगर निगम क्षेत्र में सभी दुकान प्रतिष्ठानों को अपने साइनबोर्ड बोल्ड मराठी अक्षरों में बनाना चाहिए। व्यापार संघों ने फैसला लेने के बाद मुंबई नगर निगम से कुछ दिनों का समय मांगा था। उसके बाद मुंबई नगर निगम ने भी दुकान मालिकों को तीन महीने का समय दिया।
लेकिन इस बीच फेडरेशन ऑफ ट्रेडर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इस कार्रवाई का विरोध किया। इसलिए इस संबंध में मुंबई नगर निगम की कार्रवाई को अगली सुनवाई तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। अगली सुनवाई 18 दिसंबर को होगी।
फेडरेशन ऑफ ट्रेडर्स वेलफेयर एसोसिएशन के वीरेन शाह ने कहा कि मराठी बोर्डों को इस तरह से मजबूर करना उचित नहीं है और इसलिए यह संगठन इस फैसले का विरोध कर रहा है।
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