भीमा-कोरेगांव हिंसा मामला: पांचों 'बुद्धजीवियों' की नजरबंदी 12 सितंबर तक बढ़ी


भीमा-कोरेगांव हिंसा मामला: पांचों 'बुद्धजीवियों' की नजरबंदी 12 सितंबर तक बढ़ी
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भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में कथित रूप से नक्सलियों के साथ संबंध रखने के आरोप में गिरफ्तार पांच सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के मामले पर सुनवाई अगले बुधवार यानी 12 सितंबर तक टल गई है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पांचों लोग अगली सुनवाई तक नजरबंद रहेंगे। यही नहीं कोर्ट ने पुलिस द्वारा की प्रेस कॉन्फ्रेंस को लेकर भी नाराजगी जताई है।

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अब सभी 12 तक रहेंगे नजरबंद 
आपको बता दें कि इस साल 1 जनवरी को भीमा कोरेगांव हिंसा मामले को लेकर पुणे पुलिस ने 28 अगस्त को देशभर के 9 शहरों में छापेमारी कर 5 बुद्धजीवियों को हिरासत में लिया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने पांचों की गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए पुलिस को उन्हें 6 सितंबर तक नजरबंद रखने का आदेश दिया था। इस नजरकैद की तारीख 6 सितंबर को समाप्त होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में पुलिस ने इन सभी की पुलिस कस्टडी की मांग की लेकिन अदालत ने आरोपियों को अंतरिम राहत देते हुए अगली सुनवाई यानी 12 सितंबर तक गिरफ्तारी पर रोक लगा दी। अब सभी आरोपी हाउस अरेस्ट में रहेंगे। 

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गिरफ्तारी के खिलाफ दायर हुई है याचिका 
गौरतलब है कि इस गिरफ्तारी का विरोध देश भर में हुआ था, कई बुद्धजीवियों ने इसे सरकार का तानाशाही रवैया बताया। इस गिरफ्तारी के विरोध में फेमस इतिहासकार रोमिला थापर सहित अन्य चार सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी  और इस मामले की स्वतंत्र जांच कराने की मांग की। अब रोमिला थापर द्वारा दायर की गयी याचिका की भी सुनवाई 12 सितंबर को ही होगी।

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