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कभी सब्जी तो कभी फल...कहां कहां आते है बप्पा!


कभी सब्जी तो कभी फल...कहां कहां आते है बप्पा!
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आज तक आपने कई मुर्तियां देखे होंगी , लेकिन सब्जी और फलों में बप्पा की आकृति को आपने बहुत कम ही देखा होगा। दत्तात्रय काणेकर पिछलें 35 सालों से गणपति की पूजा अर्चना करते आ रहे है। उनके अनुसार, हर साल उनके घर में कभी सब्जी, फल या मूली में गणपति की आकृति निकलती है। जिसके कारण उन्होने इस साल गणपति के विभिन्न रूपों की प्रदर्शनी का भी आयोजन किया है।

प्रभादेवी के रवींद्र नाट्य मंदिर की आर्ट गैलरी में इस फोटो प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है। इसमें शिमला मिर्च में गणपति, गाजर में गणपति , काकड़ी में गणपति जैसे 40 प्रकार के गणेश के फोटो को प्रदर्शित किया गया है।

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प्रदर्शनी का मुख्य आकर्षण  गाय के गोबर से बने गणेश है। इस मूर्ति ने 25 साल पूरे कर लिए हैं।गणपति के फोटो की प्रदर्शनी के साथ साथ गणपति पूजा के लिए इस्तेमाल की जानेवाली 21 पौधे की वनस्पति को भी इस प्रदर्शनी में रखा गया है। ये सारे पौधे आयुर्वेदिक है।



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गणेश की इन सारी फोटो को संग्रहित करनेवाले दत्तात्रय काणेकर का कहना है की जब गणपति की स्थापना की जाती है तो उस समय 21 पत्तों का इस्तेमाल किया जाता है। मेरे अभ्यासमें मुझे 40 से अधिक वनस्पतियां मिली है। तो वही दुर्वा के 260 प्रकार है जिनका इस्तेमाल आयुर्वेद के लिए भी बड़े पैमाने पर किया जाता है।

दत्तात्रय काणेकर ने अपने शौक को धीरे-धीरे अपने रिसर्च के तौर पर अपनाया। उन्होंने अब तक 4000 गणपति संग्रह तैयार किये है। लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी उनका यह कारनामा दर्ज है। दत्तात्रय काणेकर मुंबई में एक गणपति संग्राहलय भी बनाना चाहते है।


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