सरकारी डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने के खिलाफ राज्य सरकार ने स्वास्थ्य मंत्रालय और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस कोमहाराष्ट्र अनिवार्य सेवा रखरखाव अधिनियम (एमईएसएमए) को लागू करने का प्रस्ताव भेजा है। हालांकी की इस प्रस्ताव का अब मार्ड ने विरोध भी किया है। मार्ड डॉक्टरों की एक संस्था है जिका पूरा नाम महाराष्ट्र एसोसिएशन ऑफ रेजीडेंट डॉक्टर है।
न केवल मार्ड बल्कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने राज्य सरकार के एमईएसएमए को लागू करने के प्रस्ताव का भी विरोध किया है।
मेस्मा क्या है?
मार्ड से जुड़े डॉक्टरों में से एक ने कहा कि यदि राज्य मेस्मा को लागू करेगी तो भविष्य में कोई भी डॉक्टर सरकारी नौकरी करने से परहेज करेगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वे अपनी मांगों को पूरा करने के लिए चिकित्सा शिक्षा मंत्री से मिलने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन वो समय नहीं दे रहे है।
मार्ड (केईएम) के अध्यक्ष आलोक सिंह का कहना है की "राज्य सरकार का निर्णय बिल्कुल गलत है। कई बार, डॉक्टरों को सरकारी अस्पतालों में पीटा जाता है। इस बात को सुनने का एकमात्र तरीका हड़ताल है और राज्य ने हड़ताल विरोधी कानून को लागू करने का फैसला किया है जिससे हम खुश नहीं है"।