मराठा आरक्षण बिल के विधानसभा और विधानपरिषद से पास होने के बाद राज्यपाल ने इस बिल पर हस्ताक्षर कर दिये है। राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद ये बिल राज्य में लागू हो गया है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा पेश किए जाने के एक घंटे से भी कम समय में राज्य विधानसभा के दोनों सदनों द्वारा पारित किया गया था।
मराठाओं को क्या मिलेगा लाभ यह विधेयक सरकारी नौकरियों में मराठा समुदाय के सदस्यों को 16 प्रतिशत आरक्षण और सरकारी संस्थानों में प्रवेश, सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा वर्ग नागरिकों (एसईबीसी) के तहत देता है। सरकारी नौकरियों और शिक्षा में ओबीसी, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए राज्य में 52 प्रतिशत आरक्षण पहले से ही है। मराठों के लिए 16 प्रतिशत आरक्षण के साथ, महाराष्ट्र में कुल कोटा प्रतिशत 68 प्रतिशत तक पहुंच गया है, जो तमिलनाडु के बाद देश में सबसे ज्यादा है जहां कोटा 69 फीसदी तक है।
18 नवंबर को, महाराष्ट्र सरकार ने मराठा आरक्षण विधेयक को मंजूरी दे दी थी, जिसके लिए समुदाय 2017 से विरोध कर रहा है। 2014 में, तत्कालीन कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) सरकार ने मराठों के लिए 16 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा की थी और मुस्लिमों के लिए पांच प्रतिशत आरक्षण देने का ऐलान किया था , हालांकी अभी तक मुस्लिमों के लिए आरक्षण लागू नहीं किया गया है।
मराठा आरक्षण बिल के विधानसभा और विधानपरिषद से पास होने के बाद राज्यपाल ने इस बिल पर हस्ताक्षर कर दिये है। राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद ये बिल राज्य में लागू हो गया है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा पेश किए जाने के एक घंटे से भी कम समय में राज्य विधानसभा के दोनों सदनों द्वारा पारित किया गया था।
मराठाओं को क्या मिलेगा लाभ
यह विधेयक सरकारी नौकरियों में मराठा समुदाय के सदस्यों को 16 प्रतिशत आरक्षण और सरकारी संस्थानों में प्रवेश, सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा वर्ग नागरिकों (एसईबीसी) के तहत देता है। सरकारी नौकरियों और शिक्षा में ओबीसी, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए राज्य में 52 प्रतिशत आरक्षण पहले से ही है। मराठों के लिए 16 प्रतिशत आरक्षण के साथ, महाराष्ट्र में कुल कोटा प्रतिशत 68 प्रतिशत तक पहुंच गया है, जो तमिलनाडु के बाद देश में सबसे ज्यादा है जहां कोटा 69 फीसदी तक है।
18 नवंबर को, महाराष्ट्र सरकार ने मराठा आरक्षण विधेयक को मंजूरी दे दी थी, जिसके लिए समुदाय 2017 से विरोध कर रहा है। 2014 में, तत्कालीन कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) सरकार ने मराठों के लिए 16 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा की थी और मुस्लिमों के लिए पांच प्रतिशत आरक्षण देने का ऐलान किया था , हालांकी अभी तक मुस्लिमों के लिए आरक्षण लागू नहीं किया गया है।
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