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मॉल खुल सकता है तो मंदिर क्यों नहीं: राज ठाकरे

इसके पहले राज ठाकरे ने कहा था कि, कोरोना (Coronavirus) से घबराने की कोई जरूरत नहीं है। इसलिए लॉकडाउन (lockdown) को सावधानी से उठाया जाना चाहिए।

मॉल खुल सकता है तो मंदिर क्यों नहीं: राज ठाकरे
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राज्य में 'मिशन बिगिन अगेन' (mission begin again) के तहत सब कुछ धीरे-धीरे शुरू हो रहा है।  मॉल (maal) भी शुरू हो गए हैं।  फिर मंदिर (temple) क्यों नहीं खोले जाते। क्या सरकारी नियमों का पालन करके मंदिरों को शुरू नहीं किया जा सकता है? यह सवाल उठा कर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के अध्यक्ष राज ठाकरे (raj thackeray) ने सरकार को घेरने की कोशिश की।

सोमवार को त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के 10 पुजारियों ने राज ठाकरे के घर 'कृष्णकुंज' (krishn kunj) जाकर उनसे मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद राज ठाकरे ने यह सवाल उठाया।

हालांकि इसके पहले राज ठाकरे ने कहा था कि, कोरोना (Coronavirus) से घबराने की कोई जरूरत नहीं है। इसलिए लॉकडाउन (lockdown) को सावधानी से उठाया जाना चाहिए।

इस मुलाकात में पुजारियों ने राज ठाकरे (raj thackeray) से जल्द से जल्द मंदिर खुलवाने की मांग रखी। पुजारियों के अनुसार लॉकडाउन (lockdown) के कारण, राज्य में सभी धर्मों के पूजा स्थल पिछले 5 महीनों से बंद हैं। कोरोना फैलने के डर से सरकार ने अभी तक पूजा स्थलों को खोलने की अनुमति नहीं दी है। फूल, प्रसाद, पूजा सामग्री और अन्य संबंधित वस्तुओं को बेचकर जीवन यापन करने वाले छोटे बड़े व्यवसायी सभी के सामने आर्थिक समस्याएं खड़ी हो रही हैं। साथ ही मंदिर में भक्तों के न आने से पुजारियों के सामने भी परेशानी अब सर उठा रही है।

राज ठाकरे ने पुजारियों के साथ चर्चा करते हुए कहा, जब मॉल खोले जा सकते हैं, तो मंदिर क्यों नहीं हैं? उन्होंने आगे कहा, मंदिरों को केवल लॉकडाउन नियमों के तहत ही खोला जाना चाहिए, लेकिन उन्होंने आशंका जताते हुए सवाल पूछा कि, अगर मंदिरों को शुरू करने के बाद भक्तों की भीड़ जमा होती है तो आप क्या करेंगे? भक्तों की भीड़ को कैसे रोकेगे?  कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए आप भीड़ को कैसे नियंत्रित करते हैं? मंदिरों को शुरू करने के बाद क्या अन्य धार्मिक नियमों का पालन किया जाएगा?

इन सब मुद्दों के बाद राज ठाकरे ने पुजारियों को आश्वासन देते हुए कहा कि, वे इन सभी मुद्दों को लेकर दो दिन में सरकार से बात करेंगे।

इस बीच, मंदिर को खोले जाने को लेकर दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने, उल्टा याचिकाकर्ता से ही पूछ लिया कि, मंदिर खोला जाता है तो पहले न्याय का मंदिर क्यों नहीं खोला जाता 

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