शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने रविवार को विवादास्पद राफले सौदे को "बोफोर्स के पिता" कहते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साधा। राउत ने कहा की राफेल सौदा , बोफोर्स सौदे का भी बाप बन गया है। शिवसेना के मुखपत्र 'सामाना' में एक लेख में राउत ने कहा कि बोफोर्स सौदे में 65 करोड़ रुपये के किकबैक लेने के लिए कांग्रेस नेता
सोनिया गांधी के रिश्तेदारों ने आरोप लगाया था।आज, राफले जेट सौदे में 700 करोड़ रुपये की हेराफेरी का आरोप है
राउत ने कहा की सवाल यह नहीं है कि अनिल अंबानी को लड़ाकू विमानों के लिए अनुबंध दिया गया था, लेकिन, प्रत्येक जेट के लिए 527 करोड़ रुपये की कीमत के मुकाबले, मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान (प्रधान मंत्री नरेंद्र) के दौरान 1,570 करोड़ रुपये का सौदा किया गया था। इसका मतलब है कि मध्यस्थों को प्रति जेट लगभग 1000 करोड़ रुपये का कमीशन मिला है।
फ्रान्स्वा ओलांद का किया जिक्र
राउत ने कहा की राफेल डील पर फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपती फ्रान्स्वा ओलांद ने भी इस मुद्दे पर बयान देते हुए कहा था की भारत सरकार ने उन्हे सिर्फ रिलायंस का ही विकल्प दिया था, ऐसे में क्या अब फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपती फ्रान्स्वा ओलांद को भी देशद्रोह मान लिया जाये या फिर उन्हे राहुल गांधी का समर्थक मान लिया जाए।बोफोर्स सौदे (1 9 80 के दशक के अंत में) के दौरान कांग्रेस के खिलाफ भी यही आरोप लगाए गए थे। क्या उस समय यह पाकिस्तान की मदद हो रही थी?
कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने राफले सौदे पर भाजपा सरकार पर हमला किया है, आरोप लगाया है कि वह फ्रांस से 36 राफले जेटों को अत्यधिक कीमत पर खरीद रहा था। सरकार ने आरोपों से इनकार कर दिया है कि बहस कर रही है कि जेट विमानों को पिछले यूपीए के फैसले की तुलना में सस्ता मिल रहा था। अनिल अंबानी ने दलील दी थी कि दासॉल्ट में स्थानीय कंपनी के रूप में अपनी कंपनी को चुनने में भारत सरकार की कोई भूमिका नहीं थी।
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