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हमें भी लोकल ट्रेन से यात्रा करने की मिले छूट : वकील संगठन

वकीलों का कहना है कि, अदालत के कामकाज को देखते हुए उन्हें भी लोकल ट्रेन (local train) से यात्रा करने की अनुमति मिलनी चाहिए।

हमें भी लोकल ट्रेन से यात्रा करने की मिले छूट : वकील संगठन
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लॉकडाउन (lockdown) के कारण मुंबई (mumbai)  सहित पूरे राज्य में घोषित की गई तालाबंदी को अब धीरे-धीरे कम किया जा रहा है। कई क्षेत्रों में ढील दी जा रही है। इस कड़ी में, वकील संगठन ने भी लोकल ट्रेन में यात्रा करने की छूट की मांग की है। वकीलों का कहना है कि, अदालत के कामकाज को देखते हुए उन्हें भी लोकल ट्रेन (local train) से यात्रा करने की अनुमति मिलनी चाहिए। इस बाबत गुरुवार को हाईकोर्ट (high court) में हुई सुनवाई के बीच बॉम्बे हाईकोर्ट (bombay high court) ने राज्य सरकार से वकीलों को लोकल ट्रेन में यात्रा करने की अनुमति देने की मांग पर जवाब मांगा है।

गुरुवार को मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस अमजद सैयद और सुरेंद्र तावड़े की पीठ ने सुनवाई के दौरान यह आदेश पारित किया और राज्य सरकार से एक हफ्ते में अपनी भूमिका स्पष्ट करने का निर्देश दिया।

गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान अधिवक्ता उदय वारुनजेकर ने कहा कि अब हाईकोर्ट  में प्रत्यक्ष सुनवाई शुरु है। निचली अदालतों में भी कामकाज हो रहा है। इसलिए वकीलों को ट्रेन से यात्रा की अनुमति दी जानी चाहिए।

उच्च और निचली अदालतों का कामकाज शुरू हो गया है।  लेकिन सार्वजनिक परिवहन की कमी के कारण, वकीलों को संबंधित अदालतों तक पहुंचने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए, याचिकाकर्ताओं द्वारा एक संशोधित मांग की गई थी कि वकीलों को भी लोकल ट्रेेन से यात्रा करने की अनुमति दी जानी चाहिए। अदालत ने उनकी मांग पर भी ध्यान दिया और राज्य सरकार से पूछा कि क्या वकीलों का प्रस्ताव लंबित है। सरकार द्वारा यह दोहराया गया कि वकीलों को तुरंत स्थानीय स्तर पर यात्रा करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। जिसके बाद हाई कोर्ट में अपील दर्ज की गई।

वकील संगठन का कहना है कि, उनका काम भी अतिआवश्यक सेवा के तहत आता है। उनका कहना है कि लोअर कोर्ट से लेकर अपर कोर्ट खुल गए हैं, क्लर्क अपने काम पर जा रहे हैं तो वकीलों को भी आने जाने की छूट मिलनी चाहिए। क्योंकि उनके कोर्ट नहीं जाने पर कई महत्वपूर्ण केसों की सुनवाई को लेकर अड़चन पैदा हो रही है।

इस मुद्दे को लेकर हाईकोर्ट के वकील संजीव मिश्रा का कहना है कि, सरकार की तरफ से केवल सरकारी विभाग सहित कुछ अन्य विभागों को यात्रा करने की छूट दी गयी है, लेकिन इनमें से ऐसे कितने विभाग हैं जो अतिआवश्यक कार्य के तहत नहीं आते, इसके बाबजूद उन्हें ट्रेन से यात्रा करने की छूट दी गई है।

उन्होंने आगे कहा, वकील न्यायपालिका का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। उनका भी काम अतिआवश्यक सेवा के तहत आता है, इसीलिए  इस बारे में कुछ नियम और कानून बना कर सरकार को वकीलों की मांग पर ध्यान देना चाहिए और उन्हें लोकल ट्रेन से यात्रा करने की छूट देनी चाहिए।

आलको बता दें कि इस समय केवल अतिआवश्यक कार्य करने वाले व्यक्तियों या विभागों को ही लोकल ट्रेन से यात्रा करने की छूट दी गयी है।

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