Advertisement

बोझ नहीं अपने परिवार वालों का सहारा हैं ये दिव्यांग


SHARES

'हार नहीं मानूंगा रार नहीं ठानूंगा' पूर्व प्रधानमंत्री की इस कविता को अपने जीवन पर पूरी तरह से उतार लिए हैं पुणे निवासी सुभाष चुत्तर। सुभाष चुत्तर ने आज जो कार्य कर रहे हैं उसे सुनकर लोगो के मन में उनके लिए अपार स्नेह आदर और सम्मान की भावना जागृत हो जाती है। सुभाष की पुणे में एक कंपनी है जिसमें दिव्यांग भी काम करते हैं। जी हां, वहीँ दिव्यांग जो दर ब दर की ठोकरें खाने और भीख मांगने को मजबूर हैं, लेकिन सुभाष आज इन दिव्यांगो के लिए एक नया जीवन बना कर उभरे हैं।


पुणे से शुरू हुआ सफ़र

पुणे के चाकण में 30 हजार स्क्वायर फूट में फैला हुआ है एसोसिएटेड मैनुफैक्चरिंग कंपनी, जिसे शुरू किया था सुभाष चुत्तर और सहकारी जैन ने। इस कंपनी में ऑटोमोबाइल प्रेस्ड कम्पोनेंट्स मतलब गाड़ियों के पार्ट्स बनाए जाते हैं। इस कंपनी में लगभग सवा 200 कर्मचारी काम करते हैं लेकिन 35 से 38 लोगों का एक ऐसा ग्रुप है जो बहुत ही ख़ास हैं। खास इन मायनों में कि वे शरीर से तो दिव्यांग हैं लेकिन काम के मामले में सभी इतने कुशल हैं कि वे अपने कार्य पर अपनी कमजोरियों को हावी नहीं होने देते हैं।


बेटे के अंदर दिखी प्रतिभा

सुभाष चुत्तर के बेटे अजय चुत्तर भी इन्ही दिव्यांगो में से एक हैं, लेकिन अजय के माता-पिता ने अजय की कमजोरियों को नहीं बल्कि उनकी खूबियों को पहचाना। इन्होने अजय के कार्य को देखा तो इन्हें यकीन हो गया कि अगर अजय जैसे और लोगों को भी मिले तो ऐसे लोग किसी से कम साबित नहीं होंगे। अजय से किसी ने पूछा कि दो और दो कितने होते हैं तो शायद अजय न बता पाए लेकिन अजय को यह अच्छी तरह याद है कि कंप्यूटर में कौन सी फाइल कौन से फोल्डर में है। यहीं नहीं अजय को मोबाइल नंबर से लेकर, तारीख और अन्य सारी चीजे एक दम फर्राटा याद रहती है। इसे गॉड गिफ्ट कहा जाए या चमत्कार, अजय को उनकी काबिलियत की वजह से क्वालिटी मैनेजर बनाया गया है। ऐसा मामला शायद ही दुनिया में देखने को मिले।


दिव्यांगो का बहुमूल्य योगदान

अजय को देखते हुए इस कंपनी में कई दिव्यांग काम कर रहे हैं और अपने घर और परिवार का आधार बने हुए हैं। यही नहीं अपने काम से इन दिव्यांगो ने अपनर घर संसार को ही नहीं बल्कि इस कंपनी को भी एक नए मुकाम पर पहुंचाया है।


विश्वस्तर पर मिली पहचान

इन दिव्यांगो के कार्य को देखते हुए विश्व की जानी मानी ऑटोमोबाइल कंपनी फॉक्सवेगन (Volkswagen) ने इस कंपनी में दिव्यांगो के लिए एक विशेष कक्ष का निर्माण किया है। यही नहीं फॉक्सवेगन इन्हें अपनी कंपनी में नौकरी देने का भी प्रस्ताव पर भी विचार कर रही है।


सुभाष चुत्तर रिटायरमेंट के बाद भी इन दिव्यांगो के लिए काम करते रहेंगे। उनका कहना है कि भले ही इनका शारीरिक विकास न हो पाया हो लेकिन यह किसी से कम नहीं हैं। इनको अवसर मिले तो ऐसे लोग बहुत अच्छा काम कर सकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि इनके अच्छे भविष्य के लिए हर कंपनी को इन्हें नौकरी देनी चाहिए।

दिव्यांगो में एक विशेष क्षमता होती है। उस क्षमता को पहचान कर अगर उसका बेहतर प्रयोग किया जाये तो इससे दिव्यंगो को रोजगार भी  मिलेगा और कई कंपनियों को भी फायदा होगा जिससे देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ने में मदद मिलेगी।


डाउनलोड करें Mumbai live APP और रहें हर छोटी बड़ी खबर से अपडेट।

मुंबई से जुड़ी हर खबर की ताज़ा अपडेट पाने के लिए Mumbai live के फ़ेसबुक पेज को लाइक करें।

(नीचे दिए गये कमेंट बॉक्स में जाकर स्टोरी पर अपनी प्रतिक्रिया दे) 


Read this story in मराठी or English
संबंधित विषय
Advertisement
मुंबई लाइव की लेटेस्ट न्यूज़ को जानने के लिए अभी सब्सक्राइब करें